सूखे ताल-तलैया, बेपानी हैंडपंपों ने बढ़ाई मुसीबत
सिद्धार्थनगर : ब्लाक क्षेत्र के बढ़नी चाफा न्याय पंचायत अंतर्गत जनपद की सरहद को छूता हुआ पिपरह
सिद्धार्थनगर : ब्लाक क्षेत्र के बढ़नी चाफा न्याय पंचायत अंतर्गत जनपद की सरहद को छूता हुआ पिपरहवा गांव के पास स्थित पउलिया ताल गर्मी आते ही बेपानी हो गया है। यही हाल आसपास के इलाकों में स्थित आधा दर्जन गांवों के पोखरों की है। समस्या के चलते किसानों समेत पशु पालक परेशान हैं। मवेशियों के समक्ष पेयजल का संकट है। बावजूद इसके तालाब में पानी भराने की व्यवस्था कराने में जिम्मेदार उदासीन बने हुए हैं।
पिपरहवा समेत वजीर डीह, बढ़नी गांव, बढ़नी चाफा, तेंदुई, मरसतवा, खबहा आदि के तालाब-पोखरे सूख चुके हैं। जिसके चलते जहां पशु-पक्षियों के लिए परेशानी बढ़ गई है, वहीं इन तालाबों से खेतों तक पानी पहुंचाने वाले किसान भी परेशान हैं। पिपरहवा स्थित पउलिया ताल में आधा दर्जन गांवों के पशु पानी पीने के लिए आते हैं। पिपरहवा, बरगदही, मुर्गीहवा, सिरसिया तथा कचले आदि गांवों के पशुओं के समक्ष अब पेयजल का संकट खड़ा हो गया। पिपरहवा गांव के लगभग एक सौ गायों को पालने वाले पशु पालक कल्लू यादव का कहना है कि पशुओं के लिए यह ताल बहुत लाभकारी है। पेयजल की समस्या जहां दूर हो जाया करती थी, वहीं जानवरों को नहलाने के लिए तालाब बहुत काम आता था। लेकिन गर्मी शुरू होते ही ताल सूख गया है, ऐसे में बहुत ही परेशानियों का सामना करना पड़ता है। होली राम, खोवा प्रसाद, इलियास, राजाराम, राम सागर, छांगुर, शिव पूजन आदि ने कहा कि ताल के अगल-बगल गांवों के किसानों को खेती के लिए उक्त ताल से ¨सचाई में काफी मदद मिलती थी, परंतु बिन पानी कोई लाभ नहीं मिल पाता है। किसानों व पशु पालकों ने तालाबों में पानी की व्यवस्था कराने की मांग की है।
---
सूखे जलाशय, कैसे बुझे बेजुबानों की प्यास
पथरा, बांसी, सिद्धार्थनगर : सदियों से आम जनजीवन का आधार रहे तालाब स्वयं अपनी पिपासा शांत करने में असमर्थ हो गए हैं। विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत इनके खुदाई, सौंदर्यीकरण व जलभराव पर कागजों में लाखों खर्च होने के बावजूद इनकी सूरत बदहाल हैं। स्थिति यह है कि ऐसे में जब ग्रीष्म ऋतु दस्तक दे चुकी है तब भी गांव के आधे से अधिक तालाब सूखे पड़े हैं।
सैकड़ों साल से यह तालाब गांव के निर्माण से लेकर मानव, पशु-पक्षी व कीड़े-मकोड़े की पिपास बुझाने व स्नान आदि का साधन बन स्वच्छता में जहां सहयोग करते रहे, वही खेतों की ¨सचाई आदि में भी यही एक मात्र साधन थे। इतना ही नहीं गर्मी के मौसम में अग्नि के तांडव होते ही यह तालाब उपयोगी हो जाते थे । इसी के मद्देनजर मनरेगा व अन्य योजनाओं के तहत सरकार इन पर अधिकाधिक पैसे भी खर्च की पर स्थिति में अपेक्षाकृत सुधार नहीं है। प्रशासन की शिथिलता से जहां अनेकों तालाब अतिक्रमण की चपेट में आ गए हैं वही खुदाई आदि की कागजी खानापूर्ति के चलते इनमें अपेक्षाकृत सुधार नहीं हो सका। राम गणेश चौधरी कहते हैं कि मनरेगा लागू होने के बाद जितना पैसा तालाबों की खुदाई पर खर्च हुआ है इतने में तो नए तालाब बन गए होते। पर दुर्भाग्य से श्रमदान के तहत सैकड़ों वर्ष पूर्व बनाये गये इन तालाबों की यह सरकार ठीक से मरम्मत नहीं करा सकी। गरीबों का पैसा बिना पानी के तालाब में बह गया। इसी प्रकार अंजलि मणि त्रिपाठी कहती हैं पहले जब कहीं गांव बसते थे तो इन्हीं तालाबों की मिट्टी से दीवारें बनती थी। पूरा गांव तैयार होते होते कई तालाब गांव के आसपास तैयार हो जाते जो आजीवन जनता को जीने में मदद करते थे। पर इतना खर्च करने के बावजूद इनकी बदतर स्थिति यह बयां कर रही है। इसी प्रकार रामबरन यादव, आशुतोष, सीताराम चौधरी, कल्लू, योगेंद्र चौहान आदि ने भी तालाबों की दुर्दशा पर गहरी ¨चता व्यक्त की। बीडीओ शौकलाल ने कहा कि जल संरक्षण हमारी प्राथमिकता में है। इसके लिए लगातार काम किए जा रहे हैं। जिस तालाब में पानी नहीं है वहां पानी भरा जाएगा। तालाबों पर जो पैसे खर्च किए हैं, उसका पूरा लाभ मिले ऐसा प्रयास है। अगर कहीं कोई शिकायत मिलेगी तो जांच कर उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
---
हैंडपंपों के सूखे हलक, कैसे बुझे प्यास
धोबहा-डुमरियागंज, सिद्धार्थनगर : खुनियांव विकास खंड अन्तर्गत जूनियर विद्यालय लटेरा में गर्मी बढ़ने के साथ पेयजल संकट पैदा हो गया है। स्कूल में तो इण्डिया मार्का हैंडपंप तो लगे हुए हैं, परंतु वह बेमतलब साबित हो रहा है। क्योंकि महीनों से हैंडपंप से दूषित जल निकल जल उगल रहा है। ऐसे में स्कूली बच्चों समेत स्टाफ को नाना प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मध्याह्न भोजन योजना भी प्रभावित होती है।
इस पूर्व माध्यमिक विद्यालय में लगा हैंडपंप महीनों से दूषित जल उगल रहा है। हैंडपंप का ज्यादा हिस्सा जमीन में धंस गया है, तो यहां चबूतरा भी नहीं बना हुआ है। विद्यालय के स्टाफ व छात्र-छात्राओं के लिए हमेशा शुद्ध पेयजल का संकट बना रहा है। दूषित पानी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है, इसके बाद भी लटेरा विद्यालय के खराब हैंडपंप को दुरुस्त नहीं कराया जा रहा है। इधर गर्मी के मौसम में जहां पेयजल समस्या से बनी हुई है, वहीं दोपहर का भोजन बनाने में भी तमाम कठिनाइयां पैदा हो रही है। प्रधानाध्यापक की मानें तो सूचना कई बार विभागीय अधिकारियों को दी गई, लेकिन अब हैंडपंप को ठीक नहीं कराया गया है। इसके कारण समस्या बनी हुई है। अभिभावकों में सुरेश कुमार, राजू, राधेश्याम, पप्पू आदि ने विभागीय अधिकारियों से खराब हैंडपंप ठीक कराने की मांग की है।