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सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बेवांमें सुविधाओं का टोटा

बेवां सीएचसी जिले की सर्वाधिक महत्वपूर्ण सीएचसी है जिसपर 300 से अधिक गांव के लोगों के इलाज की जिम्मेदारी है बावजूद यहां सुविधाओं का टोटा है। यहां मरीजों व तीमरदारों को सुविधा देने के लिए लाखों की लागत से शौचालय जरूर बने लेकिन लापरवाही इस कदर हावी है कि पिछले एक महीने से अस्पताल के शौचालय में ताला जड़ा हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 27 Nov 2020 10:48 PM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2020 10:48 PM (IST)
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बेवांमें सुविधाओं का टोटा
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बेवांमें सुविधाओं का टोटा

सिद्धार्थनगर : बेवां चौराहे पर प्रशासन ने अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाया, लेकिन सीएचसी बेवां इससे अछूता रह गया। परिसर अवैध पार्किंग का अड्डा बना हुआ है। मुख्य द्वार से लेकर अंदर तक जहां तहां वाहन खड़े रहते हैं, जिससे मरीजों को अस्पताल पहुंचने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। समस्या के प्रति अस्पताल प्रशासन मूक दर्शक बना हुआ है। वहीं अस्पताल में बंद पड़ा शौचालय भी परेशानी का कारण बना हुआ है।

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बेवां सीएचसी जिले की सर्वाधिक महत्वपूर्ण सीएचसी है जिसपर 300 से अधिक गांव के लोगों के इलाज की जिम्मेदारी है, बावजूद यहां सुविधाओं का टोटा है। यहां मरीजों व तीमरदारों को सुविधा देने के लिए लाखों की लागत से शौचालय जरूर बने, लेकिन लापरवाही इस कदर हावी है कि पिछले एक महीने से अस्पताल के शौचालय में ताला जड़ा हुआ है। ऐसे में वह झाड़ियों में जाने को मजबूरी होते हैं। अस्पताल में गंभीर रूप से बीमार लोगों को पहुंचने में भी परेशानी होती है, क्योंकि अस्पताल परिसर पार्किंग का अवैध अड्डा बन चुका है। मो. इम्तियाज, व मनोरमा देवी ने बताया कि अस्पताल का शौचालय बंद होने से भारी असुविधा झेलनी पड़ती है। समस्या के बारे में अधीक्षक को कई बार बताया गया, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। राकेश त्रिपाठी व मो. हारुन ने बताया कि सबसे अधिक समस्या तो पार्किंग की है। गाड़ियों को खड़ा करने का स्थान ही नहीं है जिसके चलते मरीजों को अस्पताल पहुंचने में असुविधा होती है। सीएचसी अधीक्षक डा. वीएन चतुर्वेदी ने कहा कि सफाई के कारण शौचालय बंद था, बाद में खोल दिया गया।

नहरों की सफाई के लिए डीएम से लगाई गुहार

सिद्धार्थनगर में आधा दर्जन माइनरों पर लोगों ने कब्जा जमा लिया है। जिसे खाली कराने के लिए ग्रामीणों ने डीएम को पत्र भेजा है। बजहां सागर से निकलने वाली माइनर से सैकड़ों एकड़ खेतों की सिचाई होती थी। इधर अतिक्रमण के कारण पानी नहीं पहुंच पाता है। सोनबरसा निवासी डाक्टर प्रमोद यादव ने कहा कि मखेड़ा नाले के उत्तरी तरफ से निकलने वाली माइनर अंग्रेजों के समय ही बनाया गया है। लेकिन अतिक्रमण के कारण पानी अंतिम स्थान तक नहीं पहुंच पा रहा है। बर्डपुर नंबर आठ निवासी मोहित मिश्रा आदि का कहना है कि माइनर से ही आसपास के खेतों की सिचाई संभव है। लोगों ने अतिक्रमण को मुक्त कराने की मांग किया है।


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