दस वर्ष पहले बने आंगनबाड़ी केंद्र का मिट रहा अस्तित्व
गर्भवती धात्री महिलाओं सहित 3 से 6 माह के शिशुओं के बेहतर स्वास्थ्य व पोषण के साथ शिक्षा व्यवस्था का जिम्मा उठाने वाले बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के दर्जन भर आंगनबाड़ी केंद्र उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं।
सिद्धार्थनगर: गर्भवती, धात्री महिलाओं सहित 3 से 6 माह के शिशुओं के बेहतर स्वास्थ्य व पोषण के साथ शिक्षा व्यवस्था का जिम्मा उठाने वाले बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के दर्जन भर आंगनबाड़ी केंद्र उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं। कहीं भवन जर्जर हैं तो कही प्राथमिक विद्यालय में केंद्र का संचालन हो रहा है ।
क्षेत्र के ड़डवा, कोदईजोत, मसिना खास प्रथम, द्वितीय व तृतीय, करही मस्जिदिया, छितौनी, तेनुई, लेहडा़ उर्फ राम नगर जैसे गांव में बने आंगनबाड़ी केंद्र निर्रथक साबित हो रहे हैं। मिठवल विकास क्षेत्र के डड़वाकोदईजोत की स्थिति काफी बदतर है । इस भवन का निर्माण वर्ष-2009-10 में तीन लाख की लागत से हुआ था। आठ ही वर्ष में भवन में लगे खिड़की, दरवाजे सब टूट गये । इसी तरह मसिनाखास में बना आगंनबाडी केंद्र का भवन ढहने के कगार पर पहुंच गया है। इनमें तीन केंद्र ऐसे हैं जहां न तो शौचालय है और न ही पेय जल की व्यवस्था। लाखों की लागत से बनाए गए भवन बेमतलब साबित हो रहे हैं। ग्राम पंचायत नचनी के टोला सिहाझूडी़ में बना आंगनबाड़ी केंद्र तो कंडा घर बना हुआ है। चारो तरफ जल जमाव भी है । आक्रोशित ग्रामवासियों का कहना है कि यदि व्यवस्था सही नहीं हुई तो हम लोग आंदोलन को मजबूर होंगे ।
जर्जर भवनो को चिन्हित कर सूची दे दी गयी हैं।धन आते ही उसका निर्माण शुरू हो जायेगा। जो लोग केंद्र पर नही जाते जांच कर कार्रवाई की जायेगी।
प्रियंका वर्मा
सीडीपीओ, मिठवल