काव्यपाठ के जरिए जगाई पर्यावरण संरक्षण की अलख
विश्व पर्यावरण दिवस पर बुधवार को मुख्यालय नवोन्मेष के तत्वावधान में'दीपक संग कविता' पढी
सिद्धार्थनगर : विश्व पर्यावरण दिवस पर बुधवार को मुख्यालय नवोन्मेष के तत्वावधान में'दीपक संग कविता'का आयोजन किया गया, जिसमें कवियों ने अपनी रचनाओं के जरिए न केवल प्रकृति को नमन किया, वरन पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया। कुछ कवियों ने प्राकृतिक संसाधनों के अधाधुंध दोहन पर लोगों को चेताया।
नियाज कपिलवस्तुवी ने हवा ने आग से मिलकर, लड़ाई जग से ठानी है, बचेंगे हम भला कब तक, बहुत नारा•ा पानी है। कहीं सूखा, कहीं सैलाब से ़खतरे में है दुनिया, बचाओ पेड़-पौधों को अगर दुनिया बचानी है।। के जरिए पर्यावरण को बचाने की अपील की। मंजर अब्बास रिजवी ने हर दिन ईद मनाओ, हर रात सजे दिवाली, रेतीली धरती पर कर दो वृक्षों की हरियाली। ब्रह्मदेव शास्त्री पंकज ने गर चाहो जीवन धरती पर, जल, जमीन, जंगल रहने दो। डा. सुशील सागर ने भूख का व़क्त हो या चिता की घड़ी, वृक्ष हर पल जले आदमी के लिए। शिवसागर सहर ने खुशियों की तुम आस जगा दो, जगह-जगह सब पेड़ लगा दो, पर्यावरण दिवस है आया, धरती में सोना उगा दो। राकेश त्रिपाठी गंवार ने घुल रहा है हवा में दिनों दिन •ाहर, हो रहे नित प्रदूषित हैं गांव शहर,
देते फल, शुद्ध वायु, हमें छांव जो, आओ अपनी धरा पर लगाए स•ार। आदि रचनाएं प्रस्तुत कर प्रकृति को नमन किया। डा. ज्ञानेंद्र द्विवेदी दीपक, रजन शर्मा, राणा प्रताप ¨सह, संघशील झलक, पंकज सिद्धार्थ, पवन जायसवाल, शैलेंद्र शर्मा, सिद्धार्थ गौतम आदि ने भी अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। मुख्य अतिथि पूर्व सांसद डा. चन्द्रशेखर त्रिपाठी, प्रो. सुरेन्द्र मिश्र, विजित ¨सह, श्रीधर पाण्डेय, अरुण त्रिपाठी, मान बहादुर, मुनीष ज्ञानी, राजेंद्र प्रसाद, भक्तराज समेत तमाम लोग उपस्थित रहे।