नगर पंचायत बनने के बाद भी नहीं बदली सूरत
स्वच्छता अभियान के तहत सरकार शौचालय की मद में पानी की तरह पैसा बहा रही है। इन दिनों गांव-गांव नए-नए सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराए जा रहे हैं जिसकी हर सप्ताह समीक्षा की जाती है परंतु जो शौचालय पहले से बने हैं उसकी स्थिति सुधारने की दिशा में जिम्मेदार ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं।
फोटो 22 एसडीआर 15
सिद्धार्थनगर : स्वच्छता अभियान के तहत सरकार शौचालय की मद में पानी की तरह पैसा बहा रही है। इन दिनों गांव-गांव नए-नए सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराए जा रहे हैं, जिसकी हर सप्ताह समीक्षा की जाती है, परंतु जो शौचालय पहले से बने हैं, उसकी स्थिति सुधारने की दिशा में जिम्मेदार ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं। बिस्कोहर का शौचालय, जो स्वच्छता अभियान को आइना दिखा रहा है। सामुदायिक शौचालय होने के बाद भी यह पूरी तरह से उपेक्षित है। बदहाली ऐसी कि अब इसको प्रयोग में भी नहीं लिया जा रहा है। अब तो शौचालय खंडहर होने लगा है। खुले में शौच मुक्त बनाने के लिए सरकार के स्तर पर तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। मगर जिम्मेदार हैं, कि गंभीरता नहीं दिखा रहा है। बिस्कोहर सामुदायिक शौचालय की बात करें, तो जूनियर हाईस्कूल के बगल में करीब एक दशक पहले इसका निर्माण हुआ। जिससे आसपास के लोग इसका इस्तेमाल करें और बाहर शौच हेतु न जाएं। करीब दो लाख की लागत से बना यह शौचालय इन दिनों बदहाली का दंश झेल रहा है। दरवाजा और दीवारें टूट रहीं हैं, सीट खराब हो गया है जबकि टोटी गायब हो चुकी है।
क्षेत्रवासियों का कहना है कि जिस उद्देश्य से इसका निर्माण हुआ, उस पर पानी फिर रहा है, विभाग द्वारा कोई सुधि नहीं ली जा रही है।
अधिशासी अधिकारी राजन गुप्ता ने कहा कि समस्या के बारे में पता कराते हैं, फिर जो आवश्यक कदम होंगे, उठाए जाएंगे।