रसूल की अ•ामत को समझना जरूरी : मौलाना
सिद्धार्थनगर : मौजूदा वक्त में इंसान गफलत की ¨जदगी गुजार है। यही वजह है तरह-तरह की परेशानियों, मुसीब
सिद्धार्थनगर : मौजूदा वक्त में इंसान गफलत की ¨जदगी गुजार है। यही वजह है तरह-तरह की परेशानियों, मुसीबतों, बीमारियों की गिरफ्त में फंसा हुआ है। हमें इस ¨जदगी से बाहर आने की जरूरत है। तभी हमारी ¨जदगी संवर सकती है।
यह बातें मुबारकपुर से आए मौलाना गुलाम पंजतन ने कही। रविवार रात कस्बा हल्लौर स्थित दरगाह हजरत अब्बास में आयोजित सालाना अशरे की छठी मजलिस को पढ़ते हुए उन्होंने कहा कि रसूल की अजमत को समझना जरूरी है। तभी इस्लाम की सही तस्वीर दुनिया के सामने पेश की जा सकती है। अल्लाह व रसूल के साथ इमाम की भी मारफत हासिल करनी चाहिए। सभी लोगों को अपने वक्त के इमाम को पहचानने की जरूरत है। इमाम को जाने बगैर यदि मौत होती है, तो वह जिहालत की मौत होगी। मौलाना ने हजरत मूसा के वाकये पर बृहद रूप से रोशनी डाली। सभी लोगों से अपने अमल को दुरुस्त रखने पर जोर देते हुए किरदार को बुलंद बनाए रखने की बात कही। उन्होंने कहा कि अजमत-ए- कुरान को समझना है, तो पहले इमाम हुसैन को समझो। मकसदे कर्बला क्या है, इस पर फिक्र करने की जरूरत है। मौलाना ने कहा कि इल्म की शमा रोशन कर खुद में यकीन हासिल करने वाला इंसान कभी गुमराह नहीं हो सकता है। किरदार इस तरह बनाएं कि देखने वाला खुद ही सवाल कर बैठे कि यह किस मजहब से संबंध रखता है। अंत में मौलाना ने कर्बला से जुड़े मसाएब बयान किए। जिसे सुनकर हर कोई गम के सागर में डूब गया। इससे पहले मरसिया अम्बर मेंहदी व उनके हमनवां ने पढ़ी। डा.अनवर अब्बास, शमशाद हल्लौरी, जमाल असगर, दरयाफ्त हुसैन, इरशाद हुसेन, काजिम रजा, शमीम अहमद, अग्गन, आमिर, सुल्तान, इकबाल अहमद समेत बड़ी तादाद में लोग मौजूद रहे।