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कालानमक धान पर शुरू हुआ शोध

उत्पादन कम होने से खेती से मोह हो रहा भंग

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Sep 2018 10:44 PM (IST)Updated: Sat, 15 Sep 2018 10:44 PM (IST)
कालानमक धान पर शुरू हुआ शोध
कालानमक धान पर शुरू हुआ शोध

सिद्धार्थनगर: जिला कालानमक की खेती के लिए किसी समय खासा मशहूर हुआ करता था। मौजूदा समय में भी कालानमक की खेती जिले के कुछ हिस्सों में हो रही है। यहां की मिट्टी की तासीर ऐसी है कि कालानमक अछ्वुत सुगंध बिखेरता है। इसी वजह से एक जिला एक उत्पाद में जिले के हिस्से में कालानमक आया है। कालानमक को और उत्कृष्ट और उपजाऊं बनाने के लिए सोहना कृषि विज्ञान केंद्र ने प्रयास शुरू कर दिया हैं। वर्तमान में सोहना कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक कालानमक की आठ प्रजातियों पर शोध भी कर रहे हैं। जिस क्वालिटी का उत्पादन सुगंध के साथ बेहतर मिलेगा उसे अगले सीजन में कृषि विभाग के माध्यम से किसानों में वितरित किया जाएगा। एक जिला एक उत्पाद में सिद्धार्थनगर से कालानमक चावल चयनित है। प्रशासन की सक्रियता के बाद भी इसकी ब्रां¨डग और शासन स्तर पर सहयोग अभी अपेक्षित है, शायद इसलिए कि जिले में इसके उत्पादन का रकबा सिमटता जा रहा है। पहले पूरे जिले में इसका बेहतर उत्पादन होता था, लेकिन धीरे धीरे उत्पादन घटने के चलते किसानों का इस प्रजाति से मोहभंग होता गया। प्रदेश सरकार ने एक जिला एक उत्पाद की श्रेणी में इसे लाकर यह प्रयास किया कि किसान इस प्रजाति के धान की खेती की ओर उन्मुख होंगे,पर हालात में कोई तब्दीली नहीं देखने को मिली। सरकार अब इस पर गंभीर हो चुकी है और सोहना कृषि विज्ञान केंद्र को जिम्मेदारी सौंपी है। वह इस सीजन में कालानमक धान ऐसी किस्म को शोध के साथ प्रमाणित करें जो स्थानीय स्तर पर बेहतर उत्पादन के साथ ही सुगंध से भरपूर हो। सोहना कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक मौजूदा समय में कालानमक की आठ किस्मों पर शोध कर रहे हैं। कृषि विज्ञान केंद्र के खरैली, खरैला फार्म में देश के विभिन्न हिस्सों से लाए गए आठ प्रजाति के कालानमक धान के पौधों को रोपकर शोध चल रहा है। इन आठ प्रजातियों में से जो किस्म बेहतर उत्पादन देने के साथ ही खुशबू से भरपूर होगी उसका रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। सोहना कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डा. मारकंडेय ¨सह ने बताया कि आठ प्रजातियों में से दो बौनी प्रजातियों का ग्रोथ काफी तेज है। लंबी प्रजातियों का ग्रोथ सामान्य है। उपज और सुगंध पर एक किस्म का चुनाव होगा और उसकी रिपोर्ट शासन को जाएगी, स्वीकृति मिलने पर आगामी सीजन में किसान अन्य धानों की तरह कालानमक से भी बेहतर उत्पादन व आय प्राप्त करेंगे।

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