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मूर्छित लक्ष्मण को देख रामदल में मचा हाहाकार

सिद्धार्थनगर : आदर्श रामलीला समिति बढ़नी चाफा के तत्वाधान में चल रहे 11 दिवसीय रामलीला के नौंवी रात्

By JagranEdited By: Published: Fri, 02 Nov 2018 09:35 PM (IST)Updated: Fri, 02 Nov 2018 09:35 PM (IST)
मूर्छित लक्ष्मण को देख रामदल में मचा हाहाकार
मूर्छित लक्ष्मण को देख रामदल में मचा हाहाकार

सिद्धार्थनगर : आदर्श रामलीला समिति बढ़नी चाफा के तत्वाधान में चल रहे 11 दिवसीय रामलीला के नौंवी रात्रि में कलाकारों ने लक्ष्मण मेघनाथ संवाद, लक्ष्मण शक्ति, हनुमान के संजीवनी पर्वत लाने व मेघनाथ व कुंभकरण वध तक का सुंदर ढंग से मंचन किया7 कलाकारों की मनमोहक प्रस्तुति देख कर हर कोई मंत्रमुग्ध हो उठा।

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गुरुवार की रात कलाकारों ने मंचन के दौरान दिखाया कि जब रावण ने अंगद का सुझाव नहीं माना तो श्री राम ने लंका पर चढ़ाई करने का निर्णय लिया। सुग्रीव ने अपनी सेना को युद्ध के लिए भेजा और रावण ने अपने पुत्र मेघनाद को युद्ध के लिए भेजा। मेघनाथ की मायावी शक्तियों से निपटने के लिए लक्ष्मण जी प्रभु श्रीराम से आज्ञा लेकर युद्ध के लिए आते हैं। लक्ष्मण और मेघनाथ के बीच भीषण युद्ध होता है, जब मेघनाद को लगता है कि वह लक्ष्मण जी को नहीं हरा पाएगा तो वह अ²श्य हो जाता है और उन पर ब्रह्मास्त्र का प्रहार करता है। ब्रह्मास्त्र लगते ही लक्ष्मण जी मूर्छित हो जाते हैं तब हनुमानजी उठाकर उन्हें रामदल मे लेकर आते हैं। रामा दल में हाहाकार मच जाता है, श्री राम लक्ष्मण को स्वस्थ करने के लिए सभी से उपाय पूछते हैं, तभी विभीषण लंका निवासी सुषैन वैद्य को बताते हैं। हनुमान जी लंका जाकर सुषैन वैद्य को उनके घर समेत उठा लाते हैं। वह बताते हैं कि यदि सूर्योदय से पहले हिमालय से संजीवनी बूटी आ जाए तो लक्ष्मण के प्राण बचाए जा सकते है। उसके बाद हनुमान वाले की द्रोणागिरी पर्वत से सुषैन के बताए स्थान पर संजीवनी बूटी लेने को जाते हैं, संजीवनी का पता नहीं लगने पर हनुमान जी पूरे पर्वत को ही अपने हाथों में उठा कर ले आते है। जिसके बाद सुषैन लक्ष्मण जी की मूर्छा को समाप्त कर देते है। लक्ष्मण के होश में आने की खबर सुनकर रावण क्रोधित हो जाता है, और काफी मुश्किल के बाद कुंभकर्ण को नींद से जगाया जाता है, और भीषण युद्ध होता है। युद्घ मे कुम्भकर्ण मारा जाता है। कुम्भकर्ण के वध का समाचार मिलते ही रावण अत्यंत क्रोधित हो उठता है, अपने पराक्रमी पुत्र मेघनाथ को रणभूमि में भेजता है, जहां मेघनाथ और लक्ष्मण में घनघोर युद्ध होता है। इसी बीच मेंघनाद भी मारा जाता है। यह मनमोहक भावपूर्ण प्रस्तुति देख दर्शको की ऑखे भर आई। समिति अध्यक्ष रामनिवास यादव, काशीनाथ, रामकुमार कसौधन, तिलकराम गुप्ता, मुन्ना(लाल गुप्त, कपिल, मनीष श्रीवास्तव, प्रवीन्द्र गुप्त, राजकुमार आदि लोग उपस्थित रहे।


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