माता सीता का चरित्र महिलाओं के लिए अनुकरणीय
परसपुर स्थित श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर परिसर में आयोजित संगीतमयी श्रीराम कथा में मंगलवार की रात अयोध्या से आए कथावाचक बाल व्यास अमन शास्त्री ने माता सीता के चरित्र का वर्णन किया। महिलाओं के लिए मैया सीता के चरित्र को अनुकरणीय बताया।
सिद्धार्थनगर: परसपुर स्थित श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर परिसर में आयोजित संगीतमयी श्रीराम कथा में मंगलवार की रात अयोध्या से आए कथावाचक बाल व्यास अमन शास्त्री ने माता सीता के चरित्र का वर्णन किया। महिलाओं के लिए मैया सीता के चरित्र को अनुकरणीय बताया।
कथा व्यास ने कहा कि माता सीता का चरित्र भारतीय नारियों के लिए अनुकरणीय है। स्वयंवर से लेकर वनवास और उसके बाद मां का धरती में विलीन होना यह सभी महिला के साथ-साथ समाज को भी परिवार और संस्कार तथा धर्मरूपी बंधन में बांधता है। उन्होंने राम के वनवास पर विस्तार से प्रकाश डाला। कैकेयी की शर्त पर राम का वनवास होना और सीता का उस मुश्किल घड़ी में पति के साथ जाना उनके प्रतिव्रता धर्म का परिचायक है। वहीं अनुज लक्ष्मण द्वारा राम का साथ नहीं छोड़ना भाइयों के लिए भी एक संदेश है। यदि इसका आत्मसात करें तो निश्चित रूप से परिवार और समाज को टूटने से बचाया जा सकता है। कथावाचक ने कहा कि यदि श्रीराम का वनवास नहीं होता तो शायद आज आदर्श पुरूष के रूप में उन्हें इतनी बड़ी ख्याति नहीं मिलती। वंदना और मंगलाचरण से प्रारंभ हुए रामकथा के भक्तिरस में श्रोता घंटों डुबकी लगाते रहे। आरती एवं भजन-कीर्त्तन के साथ कथा का समापन हुआ। यज्ञाचार्य सतीश मिश्रा, अष्टभुजा शुक्ला, मकरध्वज शुक्ला, राम अभिलाष शुक्ला, बब्बू यादव, दिलीप पाण्डेय उर्फ छोटे, विक्की पाल, धर्मराज यादव, राकेश पाल, लवकुश पाल, अमित, गोविद पाल आदि मौजूद रहे।