Move to Jagran APP

कागज में रैन बसेरा, मौके पर दीवार

जनपद मुख्यालय पर गरीब, असहाय व निराश्रितों को ठंड आदि से बचाव के लिए कागज में एक अदद रैन बसेरा बेलसड़ मोहल्ले में तो है, मगर वह भी सिर्फ कागजों में। जबकि मौके पर मौजूद है सिर्फ दीवार। हालत यह है कि शहर में बाहर से आकर रिक्शा चलाने एवं रेल एवं बसों से यात्रा कर आने वाले लोगों को ठहरने का कोई इंतजाम नहीं

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Dec 2018 10:02 PM (IST)Updated: Sun, 16 Dec 2018 10:02 PM (IST)
कागज में रैन बसेरा, मौके पर दीवार
कागज में रैन बसेरा, मौके पर दीवार

सिद्धार्थनगर : जनपद मुख्यालय पर गरीब, असहाय व निराश्रितों को ठंड आदि से बचाव के लिए कागज में एक अदद रैन बसेरा बेलसड़ मोहल्ले में तो है, मगर वह भी सिर्फ कागजों में। जबकि मौके पर मौजूद है सिर्फ दीवार। हालत यह है कि शहर में बाहर से आकर रिक्शा चलाने एवं रेल एवं बसों से यात्रा कर आने वाले लोगों को ठहरने का कोई इंतजाम नहीं है। बिस्तर, भोजन की बात ही छोड़ दीजिए। कड़ाके की ठंड में प्रशासन द्वारा कोई इंतजाम न होने से लोग स्टेशन पर रात्रि बिताने को मजबूर होते हैं। जबकि शासन ने शहर और गांवों तक में रैन बसेरा स्थापित करने का आदेश पहले से ही दे रखा है। नपा की लापरवाही असहायों को चिढ़ाने का काम कर रही है। बावजूद जिम्मेदार मौन साधे हुए हैं।

loksabha election banner

ठंड के मौसम में अलाव, भोजन, चिकित्सा समेत अन्य बचाव सामग्रियों की व्यवस्था कराया जाना था। नगरपालिका क्षेत्र में तो लोगों को ठहरने का कोई इंतजाम नहीं है। रैनबसेरा के नाम पर बाउंड्री के अलावा कुछ भी मौजूद नहीं। जिससे अति निर्धन, निराश्रित व असहाय लोगों को ठौर मिलना दूर की कौड़ी साबित हो रही है। वहीं शासन प्रशासन की मंशा भी तार-तार हो रही है। रात्रि में दूर-दराज से आने वाले अमीर वर्ग के लोग तो शहर मे बने होटलों में पैसा खर्च कर रूक जाते हैं। जबकि गरीबों को ठंड में रात्रि बिताने को मजबूर होना पड़ता है।

.........

जिला अस्पताल के रैन बसेरा में कर्मचारियों का कब्जा

अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजनों के लिए रैन बसेरा बना हुआ है। एक कमरे के इस भवन में एम्बुलेंस सेवा प्रदान करने वाले कर्मचारियों ने सालों से कब्जा जमा रखा है। जिसके कारण मरीजों के परिजन को परिसर में खाली पड़े स्थान या भवन के अंदर गलियारा आदि में जगह लेने को मजबूर होना पड़ रहा है। रविवार को कई परिजन परिसर में बाहर सोते मिले।

..........

क्या कहते हैं जिम्मेदार

रैन बसेरा अस्थाई तौर पर स्थापित कराया जाता है। अभी ठंड शुरू हुई है। जल्द ही इसे विभिन्न स्थानों पर बनाया जाएगा। लोगों को सुविधा मुहैया कराना हमारी प्राथमिकता है।

शैलेंद्र कुमार, ईओ नपा सिद्धार्थनगर

.......

जरा गरीबों की भी सुनें

...

रात होते ही ठंड बढ़ने लगती है। कहीं पर रूकने की जगह नहीं है। हर दिन रेलवे स्टेशन या अन्य स्थानों पर रुकने को मजबूर होना पड़ता है। प्रशासन को रैन बसेरा बनाना चाहिए।

गरीबदास, रिक्शा चालक

.......

सुबह से ही रुकने की जगह खोज रही हूं। पता चला कि शहर में रैन बसेरा ही नहीं है। कहां रुकें काई जगह नहीं दिख रही है। ठंड में रुकने का इंतजाम होना चाहिए।

कमरून्निशा, यात्री


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.