निजी प्रयोग तो कही खण्डहर में तब्दील हो रहे मिनी सचिवालय
ग्राम पंचायतों में लाखों रुपये की लागत से बने मिनी सचिवालय रखरखाव न होने की वजह से खंडहर में तब्दील हो गए हैं। निष्प्रयोज्य भवनों की सुधि न तो ग्राम पंचायत ले रही हैं न ही संबंधित विभाग। जिसके कारण अधिकांश मिनी सचिवालयों पर अराजक तत्वों का कब्जा हो गया है।
सिद्धार्थनगर : ग्राम पंचायतों में लाखों रुपये की लागत से बने मिनी सचिवालय रखरखाव न होने की वजह से खंडहर में तब्दील हो गए हैं। निष्प्रयोज्य भवनों की सुधि न तो ग्राम पंचायत ले रही हैं, न ही संबंधित विभाग। जिसके कारण अधिकांश मिनी सचिवालयों पर अराजक तत्वों का कब्जा हो गया है। यह जुआरियों का अड्डा बन गया है। कहीं कंडा कहीं भूसा रखने के लिए ग्रामीण इसे उपयोग मे ला रहे हैं।
ग्राम पंचायत व ब्लाक कर्मियों की उदासीनता के चलते अधिकांश पंचायत घर वर्तमान समय में खंडहर में तब्दील हो गए हैं।
सरकार ने पंचायतों को मिनी सचिवालयों को ठीक कराने के आदेश दिए थे। बावजूद इसके क्षेत्र के अहिराड़ीहा में बना मिनी सचिवालय बिल्कुल जर्जर है। दरवाजा, खिड़की सब गायब है। भालूकोनी में बने अधूरे सचिवालय का उपयोग भूसा घर के रूप में हो रहा है। बिथरिया स्थित सचिवालय अपनी दशा पर आंसू बहा रहा है, तो वहीं शादीजोत में पांच वर्ष पहले बने मिनी सचिवालय की सिर्फ नींव पड़ी है। दिनेश शुक्ला, वीर वर्मा, मनीष अग्रहरि, विनोद दूबे, राम हर्ष आदि ने जिम्मेदारों से मिनी सचिवालय की स्थिति ठीक कराने के साथ प्रयोग करने की दिशा कदम उठाए जाने की मांग की है। बीडीओ सुशील कुमार अग्रहरि ने कहा कि सचिवालयों की वस्तुस्थिति का पता करवाते हैं, फिर उच्चाधिकारियों को सूचित कर इनका मरम्मत कराया जाएगा।