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यहां तो पता ही नहीं स्वच्छता की उपयोगिता

खुले में शौच मुक्त अभियान की धरातलीय हकीकत क्या है, इसकी बानगी भनवापुर विकास खंड अन्तर्गत ग्राम पंचायत गनवरिया बुजुर्ग में देखी जा सकती है। यहां बने अधिकतर शौचालय अभी भी निष्प्रयोज्य बने हुए हैं। कुछ गरीब ऐसे हैं, जिनके पास शौचालय की सुविधा नहीं है, पात्र होते हुए इन्हें शौचालय नहीं दिया गया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 10:58 PM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 10:58 PM (IST)
यहां तो पता ही नहीं स्वच्छता की उपयोगिता
यहां तो पता ही नहीं स्वच्छता की उपयोगिता

सिद्धार्थनगर : खुले में शौच मुक्त अभियान की धरातलीय हकीकत क्या है, इसकी बानगी भनवापुर विकास खंड अन्तर्गत ग्राम पंचायत गनवरिया बुजुर्ग में देखी जा सकती है। यहां बने अधिकतर शौचालय अभी भी निष्प्रयोज्य बने हुए हैं। कुछ गरीब ऐसे हैं, जिनके पास शौचालय की सुविधा नहीं है, पात्र होते हुए इन्हें शौचालय नहीं दिया गया। जबकि नौ शौचालय को वापस कर दिया गया। जिनके पास शौचालय नहीं है, वह खुले में शौच हेतु जाने को मजबूर हैं। कहना गलत न होगा, कि जिम्मेदारों की मनमानी के चलते स्वच्छ भारत मिशन औंधे मुंह गिरा हुआ है, यही वजह है कि कागज में पूरा गांव ओडीएफ होने के बाद भी यहां की स्थिति बदहाल है।

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इसी वर्ष जुलाई महीने में ग्राम पंचायत गनवरिया बुजुर्ग ओडीएफ घोषित हुआ। यहां की आबादी करीब 1100 है, जहां तकरीबन 300 परिवार रहते हैं। गांव को ओडीएफ बनाने की बात आई, तो 208 लोगों की सूची शौचालय के लिए बनाई गई। धनराशि आई तो 199 शौचालय का निर्माण हुआ, जबकि प्रधान द्वारा नौ शौचालय को वापस कर दिया गया। जो शौचालय निर्मित हुए, उनमें बहुत सारे प्रयोग में नहीं लिए जाते हैं। यही नहीं कुछ शौचालय में अभी तक गड्ढे तक नहीं बने हुए हैं। कुछ के दरवाजे व शीट टूट गई है, तो कुछ शौचालय पुआल रखने के काम आ रहे हैं। शौचालय की सूची में मनमानी की गई, जिसके कारण दर्जन भर परिवार शौचालय की सुविधा से वंचित रह गए। गांव ओडीएफ है, फिर भी ये लोग शौच के लिए बाहर जाते हैं।

रामप्रसाद व संवारी का कहना है, कि प्रधान द्वारा अपने चहेतों को शौचालय दे दिया गया है, वे लोग पात्र हैं, लेकिन शौचालय नहीं दिया गया। जिसके कारण बहू, बेटियों को सीवान में शौच हेतु जाना मजबूरी बना हुआ है। फूलमती व सुधा ने बताया कि प्रधान द्वारा ठेकेदारी प्रथा से शौचालयों का निर्माण करा दिया गया है, जिसमें मानक की जम कर अनदेखी की गई, नतीजन तीन-चार माह में ही शौचालय ध्वस्त होने लगे हैं। परशुराम, कृष्ण विहारी, ब्रह्मा प्रसाद, लौटू राम, शिवनरायन, रामफल, शिवपाल, राकेश आदि ने कहा कि कागज में गांव भले ही ओडीएफ हो गया हो, परंतु सच्चाई से अभी बहुत दूर है।

ग्राम पंचायत के सचिव रणविजय ने कहा कि जितने लोगों की सूची प्राप्त हुई थी, सभी को शौचालय उपलब्ध कराया गया है। कुछ अगर शेष हैं, तो उन्हें भी सूची में शामिल करके शौचालय की सुविधा प्रदान कराई जाएगी। सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) वीरेन्द्र प्रताप ¨सह का कहना है, सूची के हिसाब से शौचालय दिया गया है, अब शौचालय की सुरक्षा एवं उपयोग की जिम्मेदारी लाभार्थियों के ऊपर है। इस दिशा में ग्रामीणों को जागरूक होना पड़ेगा।


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