Siddharthnagar News: बिना साक्ष्य आरोपितों को रिमांड पर लेने कोर्ट पहुंचती पुलिस, मिल रही फटकार
Siddharthnagar News सिद्धार्थनगर में नियमों पर विवेचकों की मनमानी भारी पड़ रही है। यहां एक माह के अंदर तीन मामलों में पुलिस की किरकिरी हो चुकी है। मामले जनपद के खेसरहा ढेबरूआ और इटवा थाने से जुड़े हैं।
सिद्धार्थनगर, जागरण संवाददाता। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्रद्धा भारतीय की कोर्ट ने नौ मई को ढेबरूआ थाने में तैनात उपनिरीक्षक रामगति को सात वर्ष से कम की सजा के मामले में आरोपित को गिरफ्तार करने और रिमांड पर मांगने पर कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने रिमांड के लिए प्रस्तुत प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया है। साथ ही उच्च न्यायालय के समक्ष अवमानना के लिए प्रस्तुत करने के लिए विवेचक को नोटिस देते हुए तीन दिन में जवाब मांगा है।
विवेचक ने कोर्ट को बताया कि विंदुमती पत्नी उमेश की तहरीर पर ढेबरुआ थाना क्षेत्र तारकोंडा टोला केवटली निवासी उमेश चंद्र के खिलाफ पुलिस ने 14 अप्रैल 2023 को चोरी, छेड़खानी, मारपीट एवं जानमाल की धमकी के मामले का मुकदमा दर्ज किया था। आरोपित को आठ मई को जेल भेज दिया। नौ मई को विवेचक ने कोर्ट से कहा कि आरोपित जांच में पुलिस का सहयोग नहीं कर रहा है। यदि वह जेल से छूटा तो नेपाल भाग जाएगा।
बचाव पक्ष के अधिवक्ता मुक्तिनाथ यादव ने इसका विरोध करते हुए कहा कि दर्ज किसी भी धारा में सात वर्ष से अधिक की सजा का नियम नहीं है। ऐसे में विवेचक ने मनमानी तरीके से उनके मुवक्किल को जेल भेजा है। एक माह के भीतर ही तीन मामलों में पुलिस की किरकिरी हो चुकी है। यह मामले खेसरहा, ढेबरूआ और इटवा थाना के हैं। इस संबंध में एसपी अमित कुमार आनंद ने बताया कि जिन मामलों में पुलिस को लगता है कि आरोपित को रिमांड पर लेना जरूरी है उस प्रकरण में पुलिस नियमानुसार कोर्ट जाती है। रिमांड देना या न देना कोर्ट का विशेषाधिकार है।
केस-1
दुर्घटना के एक मामले में खेसरहा थाने के दारोगा ने आरोपित को गैर इरादतन हत्या का आरोपित बना दिया। दारोगा आरोपित की 13 दिनों की रिमांड लेने के लिए न्यायालय पहुंच गए। वहां मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी श्रद्धा भारती ने 13 अप्रैल को दारोगा अपील को खारिज कर दिया। वह जिस धारा में रिमांड मांग रहे थे, वह आइपीसी में है ही नहीं। दंडाधिकारी ने दारोगा के विरुद्ध समुचित कार्रवाई करने के लिए एसपी को पत्र लिखा है। खेसरहा थाना क्षेत्र में वाहन दुर्घटना में एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई थी। थाने के दारोगा अमित कुमार ने आरोपित संतराम को दुर्घटना के बजाय उसे गैर इरादतन हत्या का आरोपित बना दिया था।
केस-2
19 अप्रैल को इटवा थाना क्षेत्र के गनवरिया निवासी अली अहमद के अपने पड़ोसी गुलजार के खिलाफ थाने में अपने पुत्र को आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज कराया। पुलिस ने जांच में पाया कि आरोपित अली के बेटे को धमकाता था। विवेचक ने इस मामले में आरोपित को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्रद्धा भारती की कोर्ट से रिमांड पर देने की मांग की। कोर्ट ने प्रस्तुत किये गए साक्ष्य में पाया कि आरोपित गुलजार की बहन का फोटो इंटरनेट मीडिया पर शेयर करने की धमकी देता था। इसकी शिकायत गुलजार ने फोन करके किया तो उसने आत्महत्या कर लिया। कोर्ट ने इसे विवेचक की लापरवाही मानते हुए रिमांड की मांग को खारिज कर दिया।