रोजी-रोटी की तलाश में कट रही जेब
मुंबई जाने के लिए प्रवासी कामगारों को एक सीट के लिए चार से पांच हजार रुपये देने पड़ रहे हैं।
जागरण संवाददाता, भवानीगंज, डुमरियागंज, सिद्धार्थनगर : लॉकडाउन के बाद प्रवासी कामगार एक बार फिर शहरों की ओर रुख करने लगे हैं। कोरोना संक्रमण के समय किसी प्रकार अपने गांव पहुंचे थे। उम्मीद थी कि गांव में रोजी- रोटी का जुगाड़ हो जाएगा। लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं और अब वापस जाने की मजबूरी हो गई है। पर्याप्त ट्रेनों का संचालन नहीं होने से परेशानी बढ़ गई है। टूर एंड ट्रेवेल्स के कारोबार में अचानक उछाल आ गया है। हर छोटे बड़े चौराहों पर बस की टिकट चार से पांच हजार रुपये प्रति सीट के हिसाब से बुक हो रही हैं।
इन बसों से एक व्यक्ति का मुंबई तक किराया सिर्फ 2400 रुपये है, लेकिन छोटे बड़े चौराहों पर टूर एंड ट्रेवेल्स का बोर्ड लगाकर बैठे लोग इन टिकटों को अधिक दाम पर बेच रहे हैं। भवानीगंज थानाक्षेत्र के धनखरपुर चौराहे से हर दूसरे दिन दो से तीन बसें मुंबई व पुणे के लिए जा रही हैं, जिनका टिकट एजेंटों के मार्फत बुक होता है। एसडीएम त्रिभुवन ने बताया कि अभियान चलाकर जांच की जाएगी। नियम विपरीत व अधिक किराया लेने वाले वाहन संचालकों पर कार्रवाई होगी। ..
इलेक्ट्रीशियन का काम मुंबई में करता था। यहां कोई काम नहीं मिला। वापस जाना है। 3500 रुपये में बैठने के लिए एक सीट मिल सकी है।
प्रदीप यादव
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पुणे की एक फैक्ट्री में लोडिग- अनलोडिग का काम करते थे। अब वहां से बुलावा आ रहा है। चार माह से घर बिना काम के बैठे रहे। एजेंट बस टिकट का चार हजार रुपये मांग रहा है।
ओमप्रकाश
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मुंबई में दिहाड़ी मजदूरी करके हर दिन छह सौ कमा लेते थे। गांव आए तो हर रोज 200 भी मिलना मुश्किल हो गया। लौटने के लिए बस का टिकट पांच हजार रुपये में मिला है।
शेषराम
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पुलिस और जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत से प्रवासी कामगारों को लूटा जा रहा है। इसमें सभी का हिस्सा तय है जिसके चलते वापसी करने वाले लोगों का शोषण हो रहा है।
सोनी