हरियाली की बहेगी बयार, शुद्ध होगा पर्यावरण
भौतिक विकास के पीछे दौड़ रही दुनिया ने आज जरा ठहरकर सांस ली तो उसे अहसास हुआ कि चमक-धमक के फेर में क्या कीमत चुकाई जा रही है। कोई देश नहीं है जो पर्यावरण संकट पर मंथन नहीं कर रहा हो। देश भी लेकर ¨चतित है। जल्द ही जिले में हरियाली की बयार बहेगी
सिद्धार्थनगर : भौतिक विकास के पीछे दौड़ रही दुनिया ने आज जरा ठहरकर सांस ली तो उसे अहसास हुआ कि चमक-धमक के फेर में क्या कीमत चुकाई जा रही है। कोई देश नहीं है जो पर्यावरण संकट पर मंथन नहीं कर रहा हो। देश भी लेकर ¨चतित है। जल्द ही जिले में हरियाली की बयार बहेगी। विभिन्न प्रजाति के 40 लाख पौधे लगाए जाएंगे।
¨हदू धर्म में प्रकृति पूजन को प्रकृति संरक्षण के तौर पर मान्यता है। भारत में पेड़-पौधों, नदी, पर्वत, ग्रह-नक्षत्र, अग्नि-वायु सहित प्रकृति के विभिन्न रूपों के साथ मानवीय रिश्ते जोड़े गए हैं। पेड़ की तुलना संतान से की गई है तो नदी को मॉ स्वरूप माना गया है। पर्यावरण सुरक्षित रखने के लिए जिले में हरियाली बढ़ाने की तैयारी शुरू की गई है। अभियान के तहत लोगों को इसकी विशेषता भी बतायी जाएगी। अधिक से अधिक किसानों को शामिल किया जाएगा। ग्राम प्रधानों का भी सहयोग लिया जाएगा। जिससे कोई गांव या सार्वजनिक स्थल पौधरोपण से वंचित न रहने पाये। विभाग तैयारी में जुट गया है।
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ये पौधे होंगे रोपित
शीशम, सागौन, यूकेलिपटिस, अर्जुन, जामुन, सीरसा, बकैन, बेटेल, खैर, आम, अमरूद, नीम, पीपल, बरगद, सहजन आदि विभिन्न प्रजाति के पौधे लगाये जाएंगे। विभाग के अनुसार सरकार की प्राथमिकता में सहजन का पौधा विशेष रखा गया है।
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जिले में विभिन्न प्रजाति के कुल 40 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य है। इसके सापेक्ष 50 लाख पौधों की व्यवस्था करायी जा रही है। सभी नर्सरी व अन्य को जिम्मेदारी दी गई है।
वीके मिश्र, प्रभागीय निदेशक वानिकी