रहने को छत नहीं, शौचालय पर भी टाट-पट्टी का पर्दा
सरकारी दावे से इतर नपा के शास्त्री नगर का हाल गांव से भी बदहाल है। यहां दो हजार की आबादी तक सरकारी योजना अभी तक नहीं पहुंच सकी है। नेता पड़ोसी हैं अफसर भी पड़ोसी हैं, लेकिन इन गरीबों की सुनने वाला कोई नहीं। रहने को छत नहीं और शौचालय पर भी टाट-पट्टी का पर्दा है। आखिर कब तक?
सिद्धार्थनगर: सरकारी दावे से इतर नपा के शास्त्री नगर का हाल गांव से भी बदहाल है। यहां दो हजार की आबादी तक सरकारी योजना अभी तक नहीं पहुंच सकी है। नेता पड़ोसी हैं अफसर भी पड़ोसी हैं, लेकिन इन गरीबों की सुनने वाला कोई नहीं। रहने को छत नहीं और शौचालय पर भी टाट-पट्टी का पर्दा है। आखिर कब तक?
स्वच्छता अभियान पर पैसा पानी की तरह बहाया जा रहा है। सरकार की जयकार में जुटे जनप्रतिनिधि भी साफ सड़क पर ही झाडू लगाकर चले जाते हैं। लेकिन इन गरीबों की बस्ती में आने की हिम्मत नहीं कर पाते। इस वार्ड में अभी तक एक भी शौचालय का निर्माण नहीं कराया गया। जागरण टीम वार्ड की सच्चाई जानने पहुंची तो लोगों की लंबी भीड़ लग गई। हर कोई पीड़ा सुनाने लगा। साहब ये देख लो, हम कैसे रात काटते हैं। गर्मी के मौसम मकान तपता है तो बरसात में तो पानी टपकता है, ठंड में गलन से जीना दुश्वार हो जाता है। लेकिन आज तक आवास नहीं मिला। जरीना, कांती, बब्लू राजभर, उमाकांत, रमाकांत, उमरावती, विनोद, राजू, मुन्ना, कृष्णा, बालक आदि वार्डवासियों ने पीड़ा सुनाते हुए बताया कि शौचालय व आवास के लिए जिम्मेदारों से कई बार कहा गया। लेकिन आज तक सिर्फ आश्वासन ही मिला। भवन जर्जर है जो बरसात के समय पानी टपकता है। शौचालय का लाभ आज तक नहीं मिला। वर्षो पहले लगे बिजली के तार नहीं बदले गये। हालत ये है कि तार जर्जर होने से अक्सर टूटकर गिरता रहता है। तार इतना ढीला हो गया है कि जरा भी सावधानी हटी तो घटना से इन्कार नहीं किया जा सकता। वार्ड की टूटी-फूटी सड़क गंदगी का अंबार इस वार्ड की पहचान बन गई है। सबसे मजे कि बात यह है कि इसी वार्ड से सटे मलिन बस्ती है। जहां पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आने वाले थे। गनीमत रहा कि इस वार्ड नहीं पहुंच सके थे, वर्ना हकीकत से पर्दा उठ जाता।
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कहते हैं सभासद प्रतिनिधि
सभासद पार्वती देवी से जनता की समस्याओं से कोई मतलब नहीं है। सब काम उनके पुत्र देखते हैं। उनके प्रतिनिधि व पुत्र विनय राजभर कहते हैं कि जब से वार्ड संवारने की जिम्मेदारी मिली है कोई काम नहीं करा पाया। वार्ड में समस्याएं बहुत है। शौचालय के लिए तीन दर्जन पात्रों को नाम सूची में आ गया है, लेकिन अभी तक कमा चालू नहीं कराया गया। बिजली के जर्जर तार बदलवाने के लिए कई बार विभाग से कहा गया लेकिन ध्यान नहीं दिया जा रहा है। आवास के कई पात्र हैं। कहने के बाद भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। इस वार्ड में 10 साल से कोई भी काम नहीं हुआ।
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बोले वार्डवासी
आवास के लिए कई बार कहा गया। हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिला। बरसात के समय बहुत दिक्कत होती है। शुद्ध पानी के नाम पर देशी नल ही सहारा है। हैंड पंप लंबे समय से खराब पड़ा है।
ओमप्रकाश
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सरकारी आवास न मिलने के कारण झोपड़ी बनाकर परिवार का गुजर बसर कर रहे है। सड़क से मकान नीचा होने के कारण बरसात के समय चारों तरफ पानी जमा रहता है। गंदगी से फैलने वाली बीमारी का डर बना रहता है।
मंगरे
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सरकार गरीबों के लिए आवास की व्यवस्था की है। जिससे उन्हें भी छत नसीब हो सके। यह आवास हमें कब नसीब होगा कोई बताने को तैयार नहीं हैं। झोपड़ी में रहना अब मजबूरी बन गई है। हमेशा सांप बिच्छुओं का डर रहता है।
राजमती
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कहने को तो हम नगरपालिका में है। लेकिन सुविधा गांव से भी खराब है। रहने के लिए मकान नहीं है। शुद्ध पानी, शौचालय, सड़क, बिजली आदि की सुचारू व्यवस्था नहीं है। आखिर कब वार्ड की समस्या समाप्त होगी।
हरीराम