पीएफआई को फंडिंग करने वालों पर खुफिया नजर, सिद्धार्थनगर के भड़रिया-भैंसहिया बार्डर पर पसरा सन्नाटा
सिद्धार्थनगर जिले में चार से अधिक ग्राम पंचायत व नगर पंचायत में भी निगरानी बढ़ गई है। खूफिया एजेंसियों ने शक के आधार पर निगरानी शुरू की है। बता दें कि भारत- नेपाल सीमा से सटे सभी क्षेत्र वर्षों से आपराधिक गतिविधियों को लेकर चर्चित रहे हैं।
सिद्धार्थनगर, नीलोत्पल दुबे। सिद्धार्थनगर व बलरामपुर बार्डर से सटे डुमरियागंज सर्किल क्षेत्र में पीपुल्स फ्रंट आफ इंडिया के मजबूत नेटवर्क होना खुफिया एजेंसियों ने सूंघ लिया है। सूत्र बताते हैं कि उक्त सर्किल में कैंपस फ्रंट आफ इंडिया की मजबूत पैठ है। इसी के बलबूते पर वह यहां से जकात के नाम पर संगठन के लिए फंडिंग कराने का काम करा रहे थे। पीएफआई के सभी फ्रंटल संगठनों पर बैन लगने के बाद जुड़े लोग सुरक्षित ठिकाने की खोज में नेपाल का रुख कर रहे हैं। लेकिन क्षेत्र में आतंकवाद निरोधी दस्ता गुप्त तरीके से निगरानी में जुटा है।
वर्षों से चर्चित रही है भारत-नेपाल सीमा की आपराधिक गतिविधियां
भारत और नेपाल की खुली सीमा वर्षों से आपराधिक गतिविधियों को लेकर चर्चित रही है। सीमा से जुड़े बलरामपुर, बहराइच, गोंडा, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, महराजगंज और लखीमपुर खीरी भारतीय जिले इसमें प्रमुख रूप से शामिल रहे हैं। डेढ़ वर्ष पूर्व बलरामपुर, उतरौला के बढया भैंसाही निवासी मुस्तकीम उर्फ अब्दुल युसूफ की गिरफ्तारी भी यूपी और दिल्ली एटीएस ने की। उक्त आईएसआईएस का आतंकी आईईडी, विस्फोटक के साथ गिरफ्त में आया था। सटा बहराइच जनपद भी नेपाल सीमा से सटे लश्कर-ए- तैय्यबा के डिप्टी कमांडेंट इरफान के आवासीय ठिकाने के रूप में चर्चित है। ऐसे में सिद्धार्थनगर जिले के डुमरियागंज सर्किल का हिस्सा भी संवेदनशीलता के दायरे में आया है।
निगरानी में जुटी है टीम
पुलिस सर्किल के एक जिम्मेदार ने नाम न छापने के शर्त पर बताया कि एटीएस पिछले 24 घंटे से सर्किल क्षेत्र में है और चार भागों में बंटकर अपने साक्ष्य और सूत्रों के अनुसार निगरानी कर रही है। बसडिलिया, बेतनार, बिथिरया आदि गांव में कैंपस फ्रंट आफ इंडिया के नेटवर्क की सूचना मिल रही है। आधा दर्जन ऐसे ग्राम पंचायतों की भी निगरानी हो रही है जहां से इन्हें फंडिंग मिलती रही, दो नगर पंचायत भी इस दायरे में हैं।
क्या कहते हैं अधिकारी
सिद्धार्थनगर के पुलिस अधीक्षक अमित कुमार आनंद ने बताया कि एटीएस अपने सूत्र और साक्ष्यों के आधार पर पूरे देश में प्रतिबंधित संगठन के खिलाफ छापेमारी कर रही है। हमारा जब सहयोग लेना होता है तभी उक्त विभाग के लोग हमसे संपर्क करते हैं, अन्यथा उनका मिशन उन्ही तक सीमित रहता है।