लखनऊ से छपकर आ गया कार्ड, जांच भी हवा-हवाई
सिद्धार्थनगर : स्वास्थ्य महकमा में बिना टेंडर 48 लाख 82 हजार 995 रुपये के काम सौंपे जाने की जांच हवा-हवाई है। इस रकम से रूबेला अभियान के टीकाकरण के लिए केंद्रीय पंचायत उद्योग चिनहट लखनऊ द्वारा कार्ड छपकर आ भी गया है। कितना कार्ड छपा है, फिलहाल यह भी जांच का विषय है
सिद्धार्थनगर :
स्वास्थ्य महकमा में बिना टेंडर 48 लाख 82 हजार 995 रुपये के काम सौंपे जाने की जांच हवा-हवाई है। इस रकम से रूबेला अभियान के टीकाकरण के लिए केंद्रीय पंचायत उद्योग चिनहट लखनऊ द्वारा कार्ड छपकर आ भी गया है। कितना कार्ड छपा है, फिलहाल यह भी जांच का विषय है। इस अभियान में सब कुछ इतनी तेजी से हुआ है, जैसे स्क्रीप्ट पहले से ही लिखी जा चुकी थी ।
डीएम के निर्देश पर सीडीओ की पूछताछ में सिर्फ इस बात की जानकारी सामने आई है कि टेंडर में जिला स्वास्थ्य समिति की अनदेखी की गई है। वित्तीय मामले में डीएम से अनुमोदन के बाद ही कार्य का आवंटन होता है, लेकिन सियासी दबाव में अनुमोदन लेना उचित नहीं समझा गया। सीडीओ के समक्ष टेंडर से संबंधित सभी पत्रावली भी जिम्मेदार नहीं दिखा सके।
बता दें कि महानिदेशक परिवार कल्याण के निर्देश पर मिजिल्स रूबेला अभियान के तहत टीकाकरण के लिए जनपद में 9 लाख 67 हजार 599 कार्ड पांच रुपये प्रति कार्ड की दर से छपने का ठेका दिया गया था। जिसमें नियमों की अनदेखी की गई है। इसके लिए या तो पुरानी पंजीकृत संस्था को यह जिम्मेदारी देनी चाहिए थी या फिर टेंडर निकाला जाना चाहिए था, लेकिन जिम्मेदारों ने बिना ई-टेंड¨रग के ही एक ऐसे फर्म को ठेका दिया है, जो पहले से ही दागी है। इस मामले की शिकायत सांसद जगदंबिका पाल ने जिलाधिकारी से की थी, जिसपर जिलाधिकारी ने सीडीओ से जांच के लिए कहा था।
शासन से मिलें हैं 1 करोड़ 4 लाख 330 रुपये परिवार कल्याण विभाग लखनऊ की महानिदेशक नीना गुप्ता ने प्रदेश के समस्त मुख्य चिकित्साधिकारियों को बीते 23 अक्टूबर को पत्र लिखकर मिजिल्स रूबेला अभियान को संचालित करने के लिए दिशा-निर्देश दिया था। पत्र में यह कहा गया कि एमआर कैंपेन की गतिविधियों को संचालन करने हेतु राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के लिए धन 1 करोड़ 4 लाख 3 हजार 330 रुपये धन अवमुक्त कर दी गई है। ¨प्र¨न्टग एवं लाजिस्टिक मद में रिपोर्टिंग प्रपत्र, एमआर कार्ड, अभिभावक आमंत्रण कार्ड के लिए पांच रुपये प्रति लाभार्थी की दर से भुगतान अनुमन्य किया गया है। यह आदेश आते ही शासनादेश को दरकिनार कर बिना टेंडर के काम केंद्रीय पंचायत उद्योग चिनहट लखनऊ को दे दिया गया। जबकि स्थानीय पंचायत उद्योग की उपेक्षा की गई है। टेंडर भी नहीं निकाले गए।
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जिलाधिकारी के निर्देश पर मैंने संबंधित टेंडर की पत्रावली देखी है। उसमें जिलाधिकारी का अनुमोदन नहीं है। काम लखनऊ के चिनहट की फर्म को दिया गया है। कुछ और पत्रावली मांगी गई थी, लेकिन जिम्मेदार उसे दिखा नहीं पाए। इसके बारे में जिलाधिकारी को अवगत करा दिया गया है।
हर्षिता माथुर, सीडीओ
सिद्धार्थनगर