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घुप अंधेरे में बुलंद थी सिर्फ रोने की आवाजें

सिद्धार्थनगर : चारों ओर घुप अंधेरा। मैदान खचाखच अकीदमंदों से भरा हुआ। माइक पर कर्बला में आशूरा की र

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Sep 2018 11:02 PM (IST)Updated: Sat, 22 Sep 2018 11:02 PM (IST)
घुप अंधेरे में बुलंद थी सिर्फ रोने की आवाजें
घुप अंधेरे में बुलंद थी सिर्फ रोने की आवाजें

सिद्धार्थनगर : चारों ओर घुप अंधेरा। मैदान खचाखच अकीदमंदों से भरा हुआ। माइक पर कर्बला में आशूरा की रात में गुजरे मंजर का दर्दनाक बयान। इस बीच रात के सन्नाटे में बुलंद थी, तो सिर्फ रोने की आवाजें। ऐसा ही ²श्य शुक्रवार रात कस्बा हल्लौर स्थित दरगाह प्रांगण पर दिखाई दिया, जहां शाम-ए-गरीबां का प्रोग्राम आयोजित था।

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रात के अंधेरे में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम की शुरूआत हैदरे कर्रार व उनके हमनवां द्वारा पढ़ी गई मखसूस मरसिया से हुई। जिसके बाद मजलिस को इंजीनियर खुश्तर अब्बास ने रवाएती अंदाज में खिताब किया। जिसे सुनकर हर हुसैनी शैदाई की आखों से आंसू रवां थे। इसके बाद नौहा ख्वानी का सिलसिला शुरू हुआ। नायाब हल्लौरी, खुर्शीद अहमद रविकांत, एडवोकेट नौशाद रिजवी, आबाद हुसैन ने अपने-अपने अंदाज में शाम-ए-गरीबां से मखसूस नौहे पढ़े। प्रोग्राम के बीच जैसे ही दुलदुल (इमाम हुसैन की सवारी जुलजनाह) की शबीह बरामद हुई, उसकी एक झलक पाने को अकीदत मंदों की भीड़ बेताब दिखी। हर कोई जुलजनाह का बोसा लेते व इमाम हुसैन की शहादत पर आंसू बहाता नजर आया। आखिर में हुसैनी मातमदारों द्वारा तारीखी अंदाज में मातम किया गया, जिसके उपरांत कार्यक्रम संपन्न हुआ। इसी रात मरहूम शफायत हुसैन के इमाम बाड़ा व मरहूम बरकात हुसैन के आवास पर भी शाम-ए-गरीबां की मजलिस बरपा हुई। जिसमें बड़ी तादाद में हुसैनी शैदाइयों ने शिरकत की, हर तरफ गम का माहौल छाया रहा।


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