मकसद-ए-कर्बला को समझना जरूरी : र•ा हैदर
सिद्धार्थनगर :हल्लौर स्थित बड़े इमाम बाड़े में ईरान से आए मौलाना र•ा हैदर ने शुक्रवार की र
सिद्धार्थनगर :हल्लौर स्थित बड़े इमाम बाड़े में ईरान से आए मौलाना र•ा हैदर ने शुक्रवार की रात तीसरी मजलिस को खिताब करते हुए कहा कि मौजूदा वक्त में इस्लाम को बदनाम करने की एक साजिश चल रही है। जुल्म इस्लाम के नाम पर हो रहा है, जो ¨नदनीय है। ऐसे समय में इस्लाम का असली चेहरा सामने लाने की जरूरत है, जिसमें अमन-भाईचारा का संदेश दिया गया है। मुसलमानों को हक व बातिल के फर्क को समझना होगा, इसके लिए कर्बला को समझना बहुत जरूरी है।
अंजुमन गुलदस्ता मातम के सालाना अशरे की मजलिस को पढ़ते हुए मौलाना ने कहा कि हक की मारफत है मकसदे कर्बला, हक और बातिल को अलग करने के लिए ही इमाम हुसैन ने शहादत दी। तारीख में इमाम हुसैन के कुर्बानी की नजीर नहीं मिल सकती है। मौलाना ने कहा कि आज माहौल बहुत ही खराब है। ऐसे मौके पर हमें ऐसा किरदार बनाना चाहिए, कि हर देखने वाला यह कह उठे कि ये हुसैन का मानने वाला है। उन्होंने कहा कि दुनिया लाख हुसैन की अजादारी और उनके नाम को मिटाने की कोशिश करे, कामयाब नहीं होगी। जब तक खुदा की खुदाई बाकी रहेगी, जिकरे हुसैन बाकी रहेगा, मतलब कयामत तक यह सिलसिला चलता रहेगा। मौलाना ने जोर देते हुए कहा कि मकसदे हुसैनी को ¨जदगी में उतारे और उसी पर अमल भी करें। जो हुसैनी होगा, वह जालिम के सामने कभी सिर नहीं झुकाएगा। लोगों से आह्वान किया कि वे जज्बात से काम न लें, अपना पूरा ध्यान इमाम की मारफत हासिल करने में लगाएं, तभी दुनिया व आखिरत दोनों कामयाब हो सकेगी।
आखिर में मौलाना ने इमाम हुसैन के छह महीने के बेटे अली असगर की शहादत के मसाएब को बयान किए, जिसे सुनकर हर आंखों से आंसू छलक पड़े। रात करीब आठ बजे शुरू हुई मजलिस की मरसिया शाहिद आलम व उनके हमनवां ने पढ़ी। अंजुमन के सेक्रेटरी का•ामि र•ा रि•ावी ने सभी लोगों के प्रति शुक्रिया अदा किया।