भुखमरी के कगार पर आधुनिक शिक्षक
मदरसों में तैनात आधुनिक शिक्षक इन दिनों व्यापक आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। वजह तीन साल से इनको मानदेय न मिलना बताया जा रहा है। बिना मानदेय ये लोग निरंतर शिक्षण कार्यों को अंजाम तो दे रहे हैं, बावजूद इसके इनकी स्थिति सुधारने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है
सिद्धार्थनगर : मदरसों में तैनात आधुनिक शिक्षक इन दिनों व्यापक आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। वजह तीन साल से इनको मानदेय न मिलना बताया जा रहा है। बिना मानदेय ये लोग निरंतर शिक्षण कार्यों को अंजाम तो दे रहे हैं, बावजूद इसके इनकी स्थिति सुधारने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है।
ब्लाक में करीब 250 आधुनिकीकरण शिक्षक विभिन्न मदरसों आधुनिक शिक्षा बच्चों को देते आ रहे हैं, जिससे दीनी तालीम के उपरांत बच्चे चाहें तो आधुनिक विषयों के सहारे अपना भविष्य संवार कर देश की विकास में योगदान कर सके। शिक्षण कार्य के लिए बाकायदा अर्हता के आधार पर राज्य तथा केंद्र सरकारें मानदेय के रूप में अपना-अपना अंश देती है। जिसमें स्नातक आधुनिक शिक्षक को राज्य 2000 तथा केंद्र 6000 हजार अपने अंश के रूप में मानदेय देती हैं, जबकि परास्नातक अथवा बीएड अभ्यर्थियों को राज्य 12000 तथा केंद्रांश 3000 हजार देती है। परंतु राज्य सरकार ने अपने हिस्से का अंश दिसंबर तथा कुछ जगहों जनवरी 18 तक भेज दिया। जबकि केंद्र सरकार द्वारा करीब तीन साल बीत गए अपने हिस्से का केंद्रांश नहीं भेजा। ऐसे जब शिक्षकों का भविष्य नहीं सुरक्षित है, तो मदरसों के मासूम कैसे अंग्रेजी, विज्ञान, गणित विषय में निपुण हो सकें। हफीजुर्रहमान, मो.नसीम, हफीज आदि को तीन साल से अधिक का केंद्रांश नहीं मिला है जबकि अजय श्रीवास्तव, लालजी यादव, शेषमणि त्रिपाठी, रमजान अली, दुर्गेश कुमार श्रीवास्तव, नदीम, शोएब, मजीबुल्लह, लतीफ अहमद, कमर आलम, सुमैया अंजुम, शाहीन खातून आदि ने बताया कि स्थिति ये है कि बच्चों की पढ़ाई से लेकर मां-बाप की दवाई तक उधार पर चल रही है। उक्त शिक्षकों शासन-प्रशासन से समस्या समाधान कराने हेतु उचित कदम उठाए जाने की मांग की है।