अमल से ¨जदगी को बनाएं खूबसूरत : मौलाना
पैगम्बरे इस्लाम हजरत मुहम्मद मुस्तफा और हजरत इमाम हसन की अ•ामत को समझना सभी के लिए जरूरी है। इनके बताए रास्ते पर चलकर अपने अमल को दुरुस्त करें और ¨जदगी को खूबसूरत व कामयाब बनाएं
सिद्धार्थनगर : पैगम्बरे इस्लाम हजरत मुहम्मद मुस्तफा और हजरत इमाम हसन की अ•ामत को समझना सभी के लिए जरूरी है। इनके बताए रास्ते पर चलकर अपने अमल को दुरुस्त करें और ¨जदगी को खूबसूरत व कामयाब बनाएं। क्योंकि ये दोनों शख्सियतें ऐसी हैं, जिनकी फ•ाीलत को लफजों में बयान नहीं किया जा सकता है। इनकी ¨जदगी ऐसी नजीर है, कि जो भी इनके आदर्शों पर चलेगा, कभी सच्चाई के मार्ग से भटक नहीं सकता है।
यह बातें लखनऊ से आए शिया धर्म गुरू मौलाना कल्बे जव्वाद नकवी ने कही। कस्बा हल्लौर स्थित वक्फ शाह आलमगीर के इमाम बाड़े में अंजुमन गुलदस्ता मातम के सालाना अशरे की सातवीं मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना ने कहा कि पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने तमाम मुसीबतों को बर्दाश्त करते हुए खुदा के पैगाम को दुनिया तक पहुंचाया और इस्लाम की सही तस्वीर पेश की, जबकि इमाम हसन ने जालिम को उसी के दरबार में जलील व रूसवा किया। मासूम के अमल में कोई फर्क नहीं होता, सभी का मकसद एक होता है। मौलाना ने कहा कि इंसान को अपना अकीदा मजबूत रखना चाहिए। ईमान पुख्ता है और अकीदा मजबूत तो मुश्किल घड़ी में इमाम हमारी मदद करने को तैयार मिलेंगे। कुरान पर रोशनी डालते हुए कहा कि अल्लाह की ये किताब मुसलमान को सही रास्ता दिखाने का काम करती है। मौलाना ने ये भी कहा कि जो हुकूमतें दहशतगर्दी (आतंकवाद) को बढ़ावा देती हैं, उनको एक न एक दिन बर्बाद होना पड़ता है। आतंकवाद चाहे जिस शक्ल में हो, हम सबको उसकी मजम्मत (¨नदा) करनी चाहिए।
आखिर में मौलाना ने इमाम हसन व इमाम हुसैन की शहादत के दर्दनाक मसायब को बयान किए। जिसको सुनकर हर आंख से आंसू छलक पड़े। इससे पहले मरसिया हैदरे कर्रार व उनके साथियों ने पढ़ी। मजलिस के बाद इमाम हसन की याद में ताबूत का जुलूस निकाला गया। जो इमाम बाड़ा हुसैनिया बाबुल से होकर वापस इसी इमाम बारगाह में आकर खत्म हुआ। हसन जमाल, अरमान आदि ने इमाम हसन ने मखसूस नौहे को पढ़ा। हुसैनी मातमदारों ने मातम करते हुए खिराजे अकीदत पेश की।