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बाहर से लिखी दवा पर्ची देख मंडलायुक्त नाराज

मंगलवार को मिठवल विकास खंड स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तिलौली व ब्लाक कार्यालय का औचक निरीक्षण किया। अस्पताल में उन्हें काफी खामियां मिलीं तो ब्लाक कार्यालय में रजिस्टरों के रखरखाव में लापरवाही सामने आयी। जिसपर संबंधित को फटकार लगाई और चेतावनी दी।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Jan 2021 10:29 PM (IST)Updated: Tue, 19 Jan 2021 10:29 PM (IST)
बाहर से लिखी दवा पर्ची देख मंडलायुक्त नाराज
बाहर से लिखी दवा पर्ची देख मंडलायुक्त नाराज

सिद्धार्थनगर: मंडलायुक्त बस्ती अनिल सागर ने मंगलवार को मिठवल विकास खंड स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तिलौली व ब्लाक कार्यालय का औचक निरीक्षण किया। अस्पताल में उन्हें काफी खामियां मिलीं तो ब्लाक कार्यालय में रजिस्टरों के रखरखाव में लापरवाही सामने आयी। जिसपर संबंधित को फटकार लगाई और चेतावनी दी।

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मंडलायुक्त दोपहर एक बजे के करीब सबसे पहले सीएचसी पहुंचे। यहां पहले से मौजूद डीएम दीपक मीणा व ज्वाइंट मजिस्ट्रेट जग प्रवेश ने उनकी अगुवानी की। मंडलायुक्त अस्पताल में बने टीवी कक्ष में पहुंच कर मरीजों के आंकडे़ के बारे में जानना चाहा, लेकिन उन्हें सही जवाब नहीं मिला। ओपीडी व प्रसव कक्ष में मरीजों से पूछताछ किये जहां, स्थिति कुछ संतोष जनक मिली। अस्पताल में ही तैनात चिकित्सकों के प्राइवेट नरसिंह होम चलाने व बाहर से लिखी दवाओं की पर्ची को देख वह नाराज हुए। अधीक्षक डा. बृजेश शुक्ला की क्लास लगाई और हिदायत दी कि दोबारा इस तरह की शिकायत मिली तो कार्रवाई होगी।

डीएम को निर्देशित किया यदि कोई चिकित्सक प्राइवेट प्रैक्टिस करता मिले तो सीधे कार्रवाई की जाए। यहां से वह मिठवल ब्लाक कार्यालय का निरीक्षण करने पहुंचे। सूचना पर सफाई व्यवस्था चाक चौबंद हो चुकी थी। कार्यालय के अंदर प्रवेश कर बेतरतीब रखी फाइलों को देख नाराजगी जाहिर किए। कार्यालय में बैठ कर उन्होंने प्रधानमंत्री आवास, कुटुंब रजिस्टर, मनरेगा कार्य योजना आदि की फाइलों को चेक किया। जिसमें कुछ खामियां मिलने पर बीडीओ रघुनाथ सिंह को सही कराने का निर्देश दिया। इसके बाद ब्लाक परिसर में ही स्थापित बाल विकास परियोजना कार्यालय का भी उन्होंने निरीक्षण किया जहां व्यवस्था ठीक मिली।

एक भी मामले का निस्तारण नहीं

मंगलवार को तहसील सभागार में एसडीएम त्रिभुवन की अध्यक्षता में समाधान दिवस का आयोजन किया गया। कुल 28 मामले प्रस्तुत हुए लेकिन एक भी मामले का समाधान नहीं हुआ और फरियादियों के हाथ निराशा लगी। राजस्व के 13, विकास व पुलिस के तीन- तीन, शिक्षा का एक सहित अन्य आठ मामले आए।


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