यहां से बीस साल से पानी का इंतजार
किसानों के लिए वरदान कही जाने वाली सरयू नहर अब इनके लिए दगाबाज हो गई हैं। उनकी जमीनों पर विभाग ने नहर तो खोदवा दिया पर नहरें बूंद -बूंद पानी को मोहताज हैं। कई को तो खुदवा कर उसे अपूर्ण छोड़ दिया गया। वर्तमान में सरयू नहर की मुख्य शाखा से 18 वर्ष पूर्व खोदी गई बाजरडीह, नेऊसा व जीवा माइनर इसका उदाहरण हैं।
सिद्धार्थनगर : किसानों के लिए वरदान कही जाने वाली सरयू नहर अब इनके लिए दगाबाज हो गई हैं। उनकी जमीनों पर विभाग ने नहर तो खोदवा दिया पर नहरें बूंद -बूंद पानी को मोहताज हैं। कई को तो खुदवा कर उसे अपूर्ण छोड़ दिया गया। वर्तमान में सरयू नहर की मुख्य शाखा से 18 वर्ष पूर्व खोदी गई बाजरडीह, नेऊसा व जीवा माइनर इसका उदाहरण हैं।
सरयू नहर की मुख्य शाखा से वर्ष 1998 में तहसील क्षेत्र के दक्षिणांचल में स्थित दो सौ गांवों के किसानों को ¨सचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए इन तीन माइनरों का निर्माण किया गया। इसमें किसानों की दो सौ एकड़ से अधिक भूमि विभाग ने अधिगृहित किया। पानी के बिना हर सीजन में सूखे की मार झेल रहे किसानों ने विभाग को हंसी खुशी अपनी जमीन दे दिया। उम्मीद थी कि दो वर्षो में उन्हें इससे पानी नसीब होगा पर दो वर्ष क्या 18 वर्ष बीत गये और इनमें पानी का एक बूंद भी नहीं आ सका। वार्ड संख्या 31 से जिला पंचायत सदस्य व किसान हजारी लाल चौधरी का कहना है कि विभाग पानी के लगान वसूली से लेकर माइनर खुदाई तक में हम किसानों से ठगी कर रहा है। कीमती जमीनों को लेकर वह हमें प्रति वर्ष हजारों रुपये के नुकसान में पहुंचा रहा। पर पानी देने से वह मुंह मोड़ रहा है। इसकी शिकायत जिलाधिकारी व संबंधित विभाग से कई बार किए पर नतीजा अभी तक सिफर है। राजेश कुमार गौतम, अधिशासी अभियंता ने कहा कि इन तीनों में पानी तभी पहुंच सकता है जब नेऊसा जीवा के बीच एक रेगुलेटर लगाया जाए। हमसे पूर्व इसके लिए डिमांड भी भेजा गया था पर इधर विभाग में पैसा ही नहीं आ रहा जिसके कारण माइनर में पानी नहीं पहुंच रहा।