यहां कमरा छोड़कर गायब रहते डाक्टर
इलाज के अभाव में परेशान रहते है मरीज
सिद्धार्थनगर। जिले को केंद्र सरकार ने पिछड़ा घोषित करते हुए गोद ले रखा है। इसके बावजूद संयुक्त जिला अस्पताल की बदहाली दूर नहीं हो पा रही है। यहां 46 के सापेक्ष मात्र 26 चिकित्सक कार्य कर रहे हैं। इनके जिम्मे मरीजों के इलाज के अलावा अन्य विभागीय कार्य का जिम्मा है। डॉक्टरों की कर्मी का खामियाजा इलाज कराने के लिए आने वाले मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। बुधवार को ओपीडी में एक भी फिजीशियन डॉक्टर तैनात नहीं थे, जिसके कारण बाल रोग विशेषज्ञ को अन्य मरीजों का इलाज करना पड़ा। सवाल यह है कि आखिर बाल रोग विशेषज्ञ अन्य मरीजों का क्या बेहतर इलाज कर पाएगा। नाक-कान-गला, एमडी मेडिसिन सहित अन्य चिकित्सक ओपीडी छोड़कर गायब रहे। तमाम मरीज घंटों इलाज के बाद वापस लौटने को मजबूर हुए। पता करने पर मालुम हुआ कि यह मुख्यालय से बाहर विकलांगों के लिए लगाए गए कैंप में भाग लेने गए हैं।
बदलते मौसम के चलते जिला अस्पताल में मरीजों की तादाद निरंतर बढ़ती जा रही है। जहां प्रतिदिन मरीजों की संख्या करीब 700 रहती थी, अब यह संख्या एक हजार के आंकड़े को पार कर गई है। इसके बावजूद मरीजों को इलाज मुहैया नहीं हो रहा है। ऐसे में मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में जाकर चिकित्सकों से इलाज कराने को मजबूर हो रहे हैं। बुधवार को जिला अस्पताल में ओपीडी छोड़ अधिकांश शिक्षक गायब मिले। मरीज चिकित्सकों के घंटों आने का इंतजार करते रहे। तमाम मरीज बिना इलाज कराए वापस लौटने को मजबूर हो गए। यदि डॉक्टर समय से ओपीडी में बैठते शायद मरीजों को इतनी परेशानी नहीं उठानी पड़ती जितना की वह उठा रहे हैं। अस्पताल में इस वक्त सर्वाधिक मरीज सर्दी, जुकाम, बुखार, चर्मरोग, आंख से जुड़े मरीज आ रहे हैं। बुधवार को डॉक्टरों के न बैठने से मरीज डॉक्टर के आने का घंटों इंतजार करते रहे। तमाम मरीज तो निराश होकर लौटने को विवश हुए।
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आंख का ड्राप गायब
उमस भरी गर्मी में हर दिन करीब सौ से डेढ़ सौ मरीज आंख की बीमारियों से ग्रस्त होकर अस्पताल पहुंच रहे हैं। चिकित्सक इनको देखने के बाद आंख का ड्राप लिख रहे हैं, मगर यह अस्पताल के स्टोर से गायब है। विभाग के सूत्रों का कहना है कि यह दवा करीब 20 दिनों से अस्पताल में मौजूद नहीं है। दवा मौजूद न होने से इसे लोगों को बाहर जाकर मेडिकल स्टोर से खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है।
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क्या कहते हैं जिम्मेदार
चिकित्सकों की कमी है। इस अधिक संख्या में मरीज इलाज कराने आ रहे हैं। उनका पूरा ख्याल रखा जा रहा है। डॉक्टर जब ओपीडी में नहीं होते तो वह वार्ड या इमरजेंसी में जाकर गंभीर रोगियों को देखते हैं। अस्पताल में जो कमियां हैं उसे दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। जल्द ही इसका नतीजा सामने आएगा।
डॉ रोचस्मति पाण्डेय, सीएमएस
......... जरा मरीजों की सुनें
दो घंटे से डॉक्टर का इंतजार कर रहे हैं। पूछने पर पता चला कि डॉक्टर साहब किसी मरीज को देखने गए हैं। दो घंटा हो चुका है, अभी तक वह नहीं आए हैं। ......
आधा घंटा पहले आए हैं। पर्ची जमा करके डॉक्टर के आने का इंतजार कर रहे हैं। बुखार कई दिनों से ठीक नहीं हो रहा है। दिखाकर ही वापस घर जाना है।