देर रात तक चली महफिल, शायरों ने पेश किए कलाम
रोशनी से सजाया गया इमामबाड़ा
सिद्धार्थनगर :
शुक्रवार की रात्रि कस्बा हल्लौर स्थित इमामबाड़े कला में पूरे जोश-खरोश के साथ जश्न-ए-अबू तालिब मनाया गया। जश्न के मद्देनजर इमामबाड़ा पूरी तरह रोशनी में नहाया रहा, सजावट के चलते हर तरफ रौनक छाई रही। मुकामी शायरों के अलावा दूर-दराज शहरों से आए प्रख्यात शायरों ने अबू तालिब की शान में कसीदे पढ़े। महफिल का सिलसिला देर रात तक चलता रहा।
हजरत अबू तालिब की यौम-ए-विलादत पर मोमनीन हल्लौर के तत्वावधान में आयोजित हुए इस प्रोग्राम की शुरूआत कारी सज्जाद हुसैन साहिल द्वारा पढ़ी गई कुरान पाक की तिलावत के साथ हुई। इसके बाद मुमताज-फैजी ने नात-ए-पाक पढ़ते हुए माहौल को खुशनुमा बना दिया। फिर शुरू हुआ कसीदाखानी का दौर। मशहूत शायर चंदन फैजाबादी ने अपनी खूबसूरत आवाज में एक से बढ़कर एक शेर पेश किए। जिसको सुनकर हर कोई वाह-वाह कर उठा। मुकामी शायरों में बेताब हल्लौरी ने भी अपने अलग अंदाज में कलाम पेश करके पूरा समां बांध दिया। इफहाम उतरौलवी, सुहेल बस्तवी, शहंशाह बिजनौरी ने भी हजरत अबू तालिब की शान में कसीदे पढ़कर महफिल में चार चांद लगाया।
देर रात तक चली महफिल में नफीस सैयद, सज्जाद हल्लौरी, डा. खुर्शीद जफर, कायनात, हानी, फैजी, मुमताज, साबिर, आलम आदि भी अपने-अपने कलाम पेश किए। संचालन अजीम हल्लौरी ने किया। प्रोग्राम की सदारत करते हुए मौलाना जमाल हैदर ने अपने खिताब में अबू तालिब की शख्सियत पर भरपूर रोशनी डाली। कहा कि इनकी ¨जदगी से सबक लेने की जरूरत है। कार्यक्रम को कामयाब बनाने में अकबर मेंहदी पप्पू, राहिब रिजवी, काजिम रजा, जानशीन हैदर, अजीम हैदर, कसीम हैदर, आलम आदि का योगदान उल्लेखनीय रहा।