कैसे होगा 75 लाख रुपये में 450 किमी लंबे बांध की सुरक्षा
जिले में ¨सचाई विभाग के दो खंड कार्यरत है। ड्रेनेज खंड के पास 157 किमी लंबे 17 व आईसीडी के पास 297 किमी लंबाई के 22 बांध है। दोनों खंड ने बाढ़ से बचाव कार्य के लिए शासन से 3-3 करोड़ रुपये मांगे। शासन ने अनुरक्षण मद में आईसीडी को 50 व ड्रेनेज खंड को 25 लाख रुपये दिया है। इन रुपयों से तत्कालिक क्षतिग्रस्त बांध का मरम्मत कार्य होगा। 450 किमी लंबे बांध की सुरक्षा व मरम्मत में धन की कमी आड़े आ सकती है
सिद्धार्थनगर : जिले में ¨सचाई विभाग के दो खंड कार्यरत है। ड्रेनेज खंड के पास 157 किमी लंबे 17 व आईसीडी के पास 297 किमी लंबाई के 22 बांध है। दोनों खंड ने बाढ़ से बचाव कार्य के लिए शासन से 3-3 करोड़ रुपये मांगे। शासन ने अनुरक्षण मद में आईसीडी को 50 व ड्रेनेज खंड को 25 लाख रुपये दिया है। इन रुपयों से तत्कालिक क्षतिग्रस्त बांध का मरम्मत कार्य होगा। 450 किमी लंबे बांध की सुरक्षा व मरम्मत में धन की कमी आड़े आ सकती है। वहीं अभी भी आईसीडी की अधूरी परियोजनाओं के 38 किमी लंबे 26 गैप अभी भी बरकरार है।
ड्रेनेज खंड ने आपदा निधि से तत्काल तीन करोड़ रुपयों की मांग किया था। कूड़ा-घोघी नदी पर बने बांध पर चार स्थानों को संवेदनशील चिन्हित किया गया। उसका-बेलसर बांध के दो, लखनापार-बैदोला बांध के तीन कटान स्थल पर काम कराने की आवश्यकता बताई गठ्र थी। बानगंगा एफलेक्स बांध के चार कटान स्थलों पर काम करने के लिए धन की मांग किया गया था। अगस्त 2017 में आई बाढ़ से ड्रेनेज खंड के लखनापार-बैदोला बांध पर बैदोली गांव के पास करीब 50 मीटर बांध कट गया था। शासन ने गैप भरने के लिए 30 लाख रुपये आवंटित किया था। इस धन से गैप भर दिया गया। उसके बाद विभाग ने इसी बांध के भुतहिया कटान स्थल को भी संवेदनशील चिन्हित किया। रैंप बनाने व अन्य कार्यों के लिए करीब सात करोड़ की परियोजना की फाइल शासन स्तर पर लंबित है। शासन ने ¨सचाई निर्माण खंड को 296.74 किमी लंबे बांध की सुरक्षा के लिए 50 लाख रुपये आवंटित किया है। वहीं प्रशासन ने बाढ़ से बचाव के लिए पांच परियोजनाओं के लिए 39.03 करोड़ की मांग की थी। चार तटबंधों में अभी भी गैप बरकरार है। डीएम कुणाल सिल्कू ने प्रमुख सचिव ¨सचाई एवं जल संसाधन विभाग से लिखापढ़ी भी किया था। कहा था कि इसमें एक गैप 400 मीटर का है। इस गैप से सात गांव की चार हजार आबादी प्रभावित होने की आशंका जताई गई है। जिले की कुल 19 परियोजनाएं स्वीकृति के लिए प्रेषित की गई है। ¨सचाई निर्माण खंड के चार बांध में कुल 1270 मीटर का गैप है। यह गैप इतने बड़े है कि बाढ़ के समय जल प्रवाह में तबाही का मंजर सामने आ सकता है। अगस्त 2017 में आई बाढ़ के दौरान इन्हीं स्थानों पर कटान हुई थी। फत्तेपुर-खजूरडाड़ बांध के किमी 6.500 से 6.900 के मध्य 400 मीटर, असोगवा-नगवा बांध के किमी 2.450 से 2.800 के मध्य 350 मीटर, बांसी-पनघटिया बांध के किमी 18.250 से 18.550 के मध्य 300 मीटर व भोजपुर-शाहपुर बांध के किमी 1.400 से 1.620 के मध्य 220 मीटर का कटान हुआ था।
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बरकरार है अधूरी परियोजनाओं के 26 गैप
सिद्धार्थनगर : अधूरी परियोजना के बांधों में अभी भी 26 गैप बरकरार है। जिनकी लंबाई 38 किमी है। शासन स्तर पर टीएसी से स्वीकृति मिलने के बाद भी धन का आवंटन नहीं हो सका है। सभी परियोजना ¨सचाई निर्माण खंड से संबंधित है।
¨सचाई निर्माण खंड के पांच बांध अधूरे है। इन बांधों पर बड़े-बड़े गैप बने हुए है। धनाभाव के कारण काम रूका है। फत्तेपुर-खजूरडांड-अजगरा बांध पर 450 मीटर बांध का काम नहीं हो सका। छगड़िया-सोनबरसा बांध पर 16 किमी लंबा एक गैप है। डुमरियागंज-बांसी बांध पर 840 मीटर के तीन गैप है। बांसी-डुमरियागंज बांध पर 5.500 किमी के चार गैप है। भोजपुर-शाहपुर बांध पर कुल 17 गैप है। जिनकी लंबाई 15.88 किमी है। विभाग ने 22.71 करोड़ का इस्टीमेट शासन को स्वीकृत के लिए भेजा है। टीएसी से स्वीकृति मिलने के बाद भी धन का आंवटन नहीं हो सका है।
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विभाग की पांच परियोजना अधूरी है। इनमें लंबे-लंबे गैप है। यह गैप को भरने के लिए परियोजना तैयार कर शासन स्तर पर भेजा गया है। धन आवंटन होने के साथ ही काम पूरा कराया जाएगा। शासन से बाढ़ सुरक्षा कार्य के लिए 50 लाख रुपये मिले है। अनुरक्षण मद की राशि से रेनकट, रैटहोल मरम्मत कार्य कराया जा रहा है। कुछ सामग्रियों का भंडारण भी किया गया है।
आरके ¨सह
अधिशासी अभियंता आईसीडी
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बांध सुरक्षा कार्य के लिए 25 लाख रुपये मिले है। अनुरक्षण मद की राशि से सुरक्षा कार्य कराए जा रहे है। संवेदनशील बांधों को चिन्हित किया गया है। विभाग ने तैयारियां पूरी कर ली है।
आरके नेहरा
अधिशासी अभियंता, ड्रेनेज खंड
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बांध सुरक्षा कार्य कराया जा रहा है। आईसीडी को 50 व ड्रेनेज को 25 लाख रुपये दिए गए है। बांधों के मरम्मत का काम किया जा रहा है। सभी काम समय से पूरे कर लिए जाएंगे।
प्रमोद शंकर शुक्ला
एडीएम