प्रगति के लिए जिज्ञासा जरूरी : आचार्य हरिवेंद्र
मकर संक्रांति के पावन पर्व पर तीर्थ सागर भारत भारी के श्री राम जानकी हनुमान मंदिर में आयोजित श्री राम कथा के तीसरे दिन की कथा का रसपान कराते हुए आचार्य हरिवेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि व्यक्ति के जीवन में प्रगति के लिए जिज्ञासा धैर्य नेतृत्व क्षमता और एकाग्रता की बड़ी अहम भूमिका होती है।
सिद्धार्थनगर : मकर संक्रांति के पावन पर्व पर तीर्थ सागर भारत भारी के श्री राम जानकी हनुमान मंदिर में आयोजित श्री राम कथा के तीसरे दिन की कथा का रसपान कराते हुए आचार्य हरिवेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि व्यक्ति के जीवन में प्रगति के लिए जिज्ञासा, धैर्य, नेतृत्व क्षमता और एकाग्रता की बड़ी अहम भूमिका होती है। आज के परिवेश में प्राय: एक दूसरे की जिज्ञासा को लोग दबाने की चेष्टा करते हैं, न कि शांत करने की।
कठोपनिषद में नचिकेता के पिता ने यज्ञ के पश्चात लोगों को मुद्रा का दान, अन्न का दान और गाय का दान दिया। नचिकेता ने अपने पिता से पूछा कि पिताजी आप मुझे किस को दान में देंगे। नचिकेता ने जिज्ञासा प्रकट की तो पिता ने कह दिया कि मैं तुझे यमराज को दूंगा। नचिकेता जिज्ञासा की शांति के लिए यमराज के पास पहुंचे और वहां जा करके मृत्यु के रहस्य को समझ पाए। बताया कि जिज्ञासा से ही अनेक रहस्यों की खोज होती है। दूसरी तरफ धैर्य के विग्रह स्वयं श्री राम हैं । जहां एक तरफ युवराज श्रीराम को अयोध्या का चक्रवर्ती सम्राट बनना निश्चित हुआ वहीं दूसरी तरफ श्री राम को वन में जाना है ऐसा आदेश मिल गया। फिर भी श्रीराम ने अपने धैर्य को नहीं त्यागा और सम्राट बनने वाले राम बनवासी राम बन गए। महंत कृष्णमणि दास, महंत हनुमान दास नागा, विश्वनाथ दास नागा, विभोर पांडेय, विनोद पांडेय, पंकज पांडेय, विशंभरनाथ पांडेय, गोविद पांडेय, दुर्गा प्रसाद पाठक, रामविलास, बुधिसागर पांडेय आदि मौजूद रहे।