जल संरक्षण का संदेश दे रहा जखौली का पोखरा
स्थानीय विकास खंड के ग्राम पंचायत जखौली का चार बीघा भूभाग में स्थित पोखरा जल संरक्षण का संदेश दे रहा है। इस पोखरे का निर्माण दो वर्ष पहले निवर्तमान प्रधान सितारा देवी ने तब कराया था जब क्षेत्र में भूगर्भ जल का स्तर काफी नीचे चला गया था। इस पोखरे में कमलगट्टे की खेती होती है।
डुमरियागंज, सिद्धार्थनगर : स्थानीय विकास खंड के ग्राम पंचायत जखौली का चार बीघा भूभाग में स्थित पोखरा जल संरक्षण का संदेश दे रहा है। इस पोखरे का निर्माण दो वर्ष पहले निवर्तमान प्रधान सितारा देवी ने तब कराया था जब क्षेत्र में भूगर्भ जल का स्तर काफी नीचे चला गया था। इस पोखरे में कमलगट्टे की खेती होती है। पानी का उपयोग आसपास के खेतों को सींचने के साथ-साथ पशु पक्षियों के पीने के काम में आता है।
पोखरा चारों तरफ से छिछला बनाया गया है। मध्य में इसकी गहराई काफी अधिक है। नतीजा है कि बारिश के मौसम में जल संरक्षण भी भरपूर तरीके से होता रहता है। आसमान से कितनी भी आग बरसे पर इस पोखरे का जल कभी कम नहीं होता। पोखरे के किनारे छायादार वृक्ष भी लगे हैं। जिसकी छांव में बैठ लोग पोखरे से होकर आने वाली शीतल वायु का भी लुत्फ उठाते हैं। बडे बुर्जुगों का दिन पाखेरे के किनारे पर ही कटता है। सब्जी उगाने वाले किसान इसके पानी से सिचाई भी करते हैं। इसके अलावा यह पशु पक्षियों के लिए वरदान है, क्योंकि गर्मी में आसपास के पोखरे सूख जाते हैं। इसी पोखरे पर पशु पालक पशुओं को पानी पिलाने के लिए लाते हैं। पोखरे की देखभाल करने वाले हरि भईया, आलोक श्रीवास्तव, दीपक, मो. इल्तजा, राम, रानू, राधेश्याम आदि ने बताया कि इसकी सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाता है। हर छह महीने पर ग्रामीणों की मदद से पोखरे को साफ कराया जाता है जिससे पानी में गंदगी न रहने पाए। इसके बाद यदि पानी की कमी महसूस होती है तो इसे पंप सेट लगा कर भराया भी जाता है। जिससे इस मौसम में भी पानी के लिए परेशान नही होना पड़ता है।