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यहां सड़क, पेयजल और पेंशन का है टेंशन

सिद्धार्थनगर : शहर में निवास कर रहे बहुत सारे नागरिकों की ¨जदगी ग्रामीण क्षेत्र से भी बदतर है। नगर पंचायत का दर्जा मिले करीब दस वर्ष का अर्सा पूरा हो गया है, बावजूद यहां के लोग सड़क, पेयजल, पेंशन व आवास सुविधा से जूझ रहे हैं। कुछ परिवारों की स्थिति ऐसी है, कि इनके हालात देखकर सिर्फ तरस खाया जा सकता

By JagranEdited By: Published: Fri, 16 Nov 2018 10:42 PM (IST)Updated: Fri, 16 Nov 2018 10:42 PM (IST)
यहां सड़क, पेयजल और पेंशन का है टेंशन
यहां सड़क, पेयजल और पेंशन का है टेंशन

सिद्धार्थनगर :

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शहर में निवास कर रहे बहुत सारे नागरिकों की ¨जदगी ग्रामीण क्षेत्र से भी बदतर है। नगर पंचायत का दर्जा मिले करीब दस वर्ष का अर्सा पूरा हो गया है, बावजूद यहां के लोग सड़क, पेयजल, पेंशन व आवास सुविधा से जूझ रहे हैं। कुछ परिवारों की स्थिति ऐसी है, कि इनके हालात देखकर सिर्फ तरस खाया जा सकता है। आश्चर्य तो यह है कि इतना लंबा समय बीत जाने के बाद भी वार्ड वासियों के लिए शुद्ध पेयजल तक की सुविधा उपलब्ध नहीं हो सकी है।

डुमरियागंज नगर पंचायत के वार्ड नंबर सात अशफाक नगर पर नजर डालें, तो यहां मुख्य मार्ग ही गड्ढों में तब्दील है। वार्ड में घुसने से लेकर पतिराज के घर तक सड़क इतनी टूटी है, कि राहगीरों का आवागमन पर कष्टदायक बना रहता है। यहां पास में नाली निर्माण न होने से घरों के पास ही गंदा पानी इकट्ठा रहता है। वार्ड के अंदर जाने पर स्कूल से मुड़ने वाले मार्ग के बीच नाली का ढक्कन टूटा हुआ है। दलित बस्ती में राम अचल का घर ऐसा दिखाई दिया, कि जो देखे, तरस जरूर खा ले, देखने में ऐसा प्रतीत होता है, कि जैसे मानो कोई गाय-भैंस बांधने के लिए कोई जगह बनी हो। पालीथिन तानकर दिव्यांग पत्नी व बच्चों के साथ जैसे-तैसे इसी में गुजर कर रहा है। पात्र होते हुए भी आवास योजना का लाभ इन्हें अब तक नहीं मिल सका है। मिट्टी के चूल्हे पर भोजन बनाना मजबूरी है, क्योंकि उज्जवला योजना का लाभ से इनको नहीं मिल सका है। सरकारी योजना के नाम पर सिर्फ राशन ही मिलता है। रास्ते में 62 वर्षीय जगरानी सरकारी मुलाजिम समझ हाथ जोड़ खड़ी हो गई, इनके पति की मौत पांच साल पूर्व हो गई थी। बेटों की दया पर जीवन कट रहा है, जर्जर छत दिखाते हुए कहती हैं, कि बरसात में एक बूंद पानी बाहर नहीं गिरता सब घर के अंदर ही भर जाता है। अब तो छत गिरने का भय भी सताने लगा है। दलित आबादी में तारों का मकड़जाल पोल खींचने के बाद से ही दिखाई दे रहा है। शुद्ध पेयजल की बात है, तो पूरे वार्ड के लोग देशी हैंडपंप से पानी पी रहे हैं। शहरी क्षेत्र होने के बाद भी अभी तक नागरिकों को पेयजल की सुविधा नहीं मिल सकी है। क्योंकि जल निगम द्वारा पानी की टंकी का निर्माण और पाइप लाइन का कार्य कई वर्षों से शुरू कर रखा है, लेकिन अभी तक कहीं भी पेयजल की आपूर्ति शुरू नहीं हो सकी है।

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हमारा भी दर्द सुनों सरकार

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75 वर्षीय ¨सगारी देवी वृद्धा पेंशन की बाट जोह रही हैं। कहती हैं, निरंतर दौड़ लगा रही हैं, पर अब ऐसा नहीं लगता है, कि पेंशन मिल पाएगी। आन लाइन फार्म भरने के बाद नगर पंचायत व तहसील का चक्कर कई बार काटा, लेकिन हाथ सिर्फ निराशा ही लगी है।

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सरोज देवी ने कहा कि पांच बच्चों के साथ फूस के घर में ¨जदगी काट रही हैं। 2017 में प्रधानमंत्री आवास के लिए फार्म भराया गया था, एक उम्मीद बंधी थी, कि अब खुद का आशियाना नसीब हो जाएगा। मगर धीरे-धीरे सारी आशाएं धूमिल हो रही है। पति भी मानसिक रूप से विक्षिप्त है।

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मीना देवी का भी घर देख खाँटी गांव के दर्शन हो गए। पांच लड़के है तीन की शादी हो गई, जो अलग है सबके घर कच्चे है। पक्के घर का सपना पूरा नहीं हो सका है। अति वृद्ध होने के बाद भी पेंशन जैसी सुविधा भी नहीं मिलती है। सरकारी योजना के नाम पर केवल राशन मिल रहा है।

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62 वर्षीय जगरानी कहता हैं, कि विधवा हैं, लेकिन पेंशन अभी तक नहीं मिली है। आवास पूरी तरह जर्जर हो चुके हैं। फार्म भी भरे हैं, मिलेगा या नहीं मिलेगा, कुछ पता नहीं है। पेंशन ही मिल जाती, तो कुछ सहारा हो जाता।

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अधिशाषी अधिकारी ने कहा .

अधिशाषी अधिकारी शिवकुमार ने कहा कि आवास के लिए डूडा विभाग के लोग सही जवाब दे सकते हैं, उनके स्तर पर समस्या आती है, तो लिखा-पढ़ी की जाती है। पेयजल के लिए ओवरहेड टैंक का काम जल निगम विभाग देख रहा है, कार्य अभी अधूरा है। जहां तक सड़क व अन्य समस्याएं हैं, तो उसके समाधान हेतु नगर पंचायत प्रशासन गंभीर है।

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क्या कहते हैं पीओ डूडा

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परियोजना अधिकारी डूडा चंद्रभान वर्मा ने कहा कि, जिनको गत वर्ष स्वीकृत पत्र दिया गया है, उनको जैसे ही धन आता है, संबंधित के खाते में भेजा जाएगा। जो पात्र शेष हैं, उनको भी आवास उपलब्ध कराने की प्रक्रिया शीघ्र पूरी की जाएगी।


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