आदतन अपराधी नहीं तो उम्र कैद की आयु 16 साल
शासन ने नई नीति बनाई है
सिद्धार्थनगर : आप आदतन अपराधी नहीं हैं तो आपके उम्र कैद की आयु जेल में मरते दम तक नहीं, बल्कि 16 साल गुजारना होगा। समय पूर्व रिहाई के लिए शासन ने स्थाई नीति बनाई है। इसके तहत आजीवन कारावास में कैदियों को 16 वर्ष जेल में गुजारना होगा, पर हर किसी को नहीं। सबके लिए अलग-अलग मापदंड हैं। दुष्कर्म, एनडीपीएस समेत विभिन्न अपराधों में यदि किसी को आजीवन कारावास हुई है तो उसकी आखिरी सांस भी जेल में ही निकलेगी। फिलहाल शासन के इस निर्णय से तमाम कैदी व उनके परिजनों में फिर से एक नई सुबह की उम्मीद जगी है। जेल से निकलकर वह बेहतर तरीके से जीवन की शुरुआत कर सकते हैं।
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क्या रही फैसले की वजह
आजीवन कारावास में दंडित होने पर बंदियों के मन में कुंठा जन्मती है। जेलों में बंदियों की भीड़ भी बढ़ती है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग व न्यायालयों द्वारा आजीवन कारावास से दंडित बंदियों की समय पूर्व रिहाई किए जाने के लिए समय-समय पर समीक्षा करने व स्थाई नीति बनाए जाने के निर्देश दिए गए हैं।
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इन्हें मिलेगी रिहाई
गत एक अगस्त को प्रमुख सचिव अर¨वद कुमार ने महानिरीक्षक कारागार प्रशासन व सुधार सेवाओं के लिए गत एक अगस्त को प्रार्थना पत्र लिखा। सप्ताह भर पूर्व जिला कारागार पर भी आदेश की कापी आ चुकी है। इसके तहत इन्हें गणतंत्र दिवस पर रिहाई मिल सकती है-
- आजीवन कारावास की सजा से दंडित सभी महिला कैदी, जिनका अपराध धारा तीन में वर्णित प्रतिबंधित श्रेणी में न हो। विचाराधीन अवधि सहित 14 वर्ष की अपरिहार(जिसे काम में छूट न मिली हो) व 16 वर्ष की सपरिहार(जिसे काम में मिली हो) की सजा व्यतीत की है।
- सभी पुरुष सिद्धदोष बंदी जिसका अपराध धारा तीन की वर्णित श्रेणी में नहीं है। विचारधीन की अवधि सहित 16 वर्ष अपरिहार व 20 वर्ष सपरिहार सजा व्यतीत किया हो।
- धारा तीन में वर्णित प्रतिबंध की श्रेणी में न हो। इसमें किसी बीमारी से ग्रसित हो तो उसे विचाराधीन अवधि में 10 वर्ष अपरिहार व 12 वर्ष सपरिहार की सजा भुगता हो(उन्नत द्विपक्षीय फुफ्फुसीय तपेदिक, असुरक्षित घातकता, असुरक्षित रक्तरोग, गंभीर ह्ृदय रोग, मानसिक अपघटन के साथ पुरानी मृगी, चरम का अल्सर ग्रसित कुष्ठ रोगी, दोनों आंखों से नेत्रहीन, ब्रेन ट्यूमर, दोनों गुर्दे फेल होने की स्थिति सहित अन्य घातक बीमारियों में)
- 70 वर्ष के कैदी को विचाराधीन अवधि में 12 वर्ष अपरिहार व 14 वर्ष सपरिहार सजा पूरी करने पर। 80 वर्ष का कैदी विचाराधीन अवधि में 10 वर्ष अपरिहार व 12 वर्ष सपरिहार सजा पूरी करने पर
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इन्हें नहीं मिलेगी रिहाई
- जिनकी द्वारा रिहाई के लिए कोई प्रार्थना पत्र नही दिया गया है
- आजीवन कारावास से दंडित ऐसे सभी सिद्धदोष बंदी, जिन्हें उत्तर प्रदेश राज्य के बाहर स्थित न्यायालयों द्वारा दोषसिद्ध कर दंडित किया गया हो।
- ऐसे सभी सिद्धदोष बंदी जिन्हें सामूहिक नरसंहार (तीन या तीन से अधिक हत्याएं) की घटनाओं में दोषसिद्ध किया गया हो।
- नारकोटिक्स ड्रग्स व साइकोट्रापिक सबस्टेंस अधिनियम में आजीवन कारावास
- आतंकवादी व विध्वंशकारी क्रियाकलाप अधिनियम में आजीवन कारावास
- आतंकवादी गतिविधि प्रतिषेध अधिनियम में आजीवन कारावास
- स्वापक औषधि व मन प्रभावी पदार्थ अवैध व्यापार निवारण अधिनियम में आजीवन कारावास
- सीमा शुल्क अधिनियम में आजीवन कारावास सहित विभिन्न अपराधों में
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यहां से 12 कैदी होंगे रिहा
- जिला कारागार से इस आदेश के तहत 12 कैदी चिह्नित किए गए हैं। उन्हें गणतंत्र दिवस के अवसर पर रिहा किया जाएगा। फैसले से न सिर्फ वही खुश हैं, बल्कि कैदी जो अगले कुछ वर्षों में जेल से आजाद होंगे, जीने की एक उम्मीद मिल गई है।
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यह निर्णय अत्यंत स्वागत योग्य है। इससे अपराध पर अंकुश लगेगा। कैदियों में भी एक उम्मीद जगेगी कि उनका आचरण बेहतर होगा तो 16 वर्षों में वह भी जेल से बाहर होंगे। आजीवन कारावास में रिहाई के लिए अलग-अलग मापदंड हैं। आदेश में उसका पूरा विवरण दिया गया है।
राकेश ¨सह
जेल अधीक्षक