अस्पताल के इंतजाम पर भारी मौतों का शोर
मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के आगमन की सूचना पर सभी सरकारी विभाग अफरा-तफरी में हैं। हर कोई खुद को बेहतर बताने में जुटा है, पर जिला चिकित्सालय के स्वभाव में कोई परिवर्तन नहीं है। वहां व्यवस्था पर मौतों का शोर भारी पड़ रहा है। चार दिन पूर्व खून की कमी के चलते एक मरीज की मौत हो गई
सिद्धार्थनगर : मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के आगमन की सूचना पर सभी सरकारी विभाग अफरा-तफरी में हैं। हर कोई खुद को बेहतर बताने में जुटा है, पर जिला चिकित्सालय के स्वभाव में कोई परिवर्तन नहीं है। वहां व्यवस्था पर मौतों का शोर भारी पड़ रहा है। चार दिन पूर्व खून की कमी के चलते एक मरीज की मौत हो गई। हालांकि उसके परिजनों का आरोप था कि अस्पताल में किसी के ध्यान न देने से यह घटना हुई। अस्पताल प्रशासन ने इस पर जांच कराने की बात कही थी, पर वह जांच के बजाय स्पष्टीकरण की बात कह रहा है।
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आंकड़ों पर एक नजर
जिला चिकित्सालय में शायद ही कोई माह ऐसा हो जब व्यवस्था सुचारू से चल सके।
केस एक- गत 18 मई को सांसद जगदंबिका पाल ने जिला चिकित्सालय का निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान ही 20 वर्षीया एक युवती के मौत पर उसके परिजनों ने सांसद से शिकायत की थी कि दवा के अभाव में व चिकित्सकों के ध्यान न देने के चलते युवती की मौत हो गई। सांसद ने तत्काल स्वास्थ्य निदेशक से इसकी शिकायत की थी। शिकायत को गंभीरता से लेते हुए स्वास्थ्य निदेशक ने सीएमएस का दायित्व किसी और को सौंपे जाने को कहा था। करीब दो माह तक प्रभार के रूप में कार्य चलता रहा, पर फिर से उसी चिकित्सक को पूर्णत: सीएमएस का चार्ज दे दिया गया।
केस दो- 13 मई को संदिग्ध परिस्थितियों में जिला चिकित्सालय में आग लग गई थी। उस समय भी दम घुटने से जिला चिकित्सालय में एक बच्चे की मौत हो गई थी। उस भी कई लोगों ने व्यवस्था पर प्रश्न खड़ा किया था, पर अस्पताल प्रशासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। यहां तक कि जुलाई माह में बारिश के दौरान करंट उतर गया था। इससे बच्चों की ¨जदगियां दांव पर थीं, पर अस्पताल प्रशासन ने इस पर विशेष जोर नहीं दिया।
केस तीन- सोमवार दोपहर जिला चिकित्सालय में बांसी के राजेन्द्रनगर मुहल्ले में नाम मो.हुसैन पुत्र मौला की मौत हो गई। उसके शरीर में मात्र तीन ग्राम खून था। उसकी मौत पर भी परिजनों ने बवाल काटा था। उनका कहना था कि अस्पताल प्रशासन की अनदेखी के चलते उसकी मौत हो गई। उसे समय पर उपचार मिला होता तो उसकी मौत नहीं हुई होती।
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किसी जांच का आदेश नहीं दिया गया था। डाक्टर से स्पष्टीकरण मांगा था। यहां कभी किसी चिकित्सक, फार्मासिस्ट की गलती नहीं होती है। लोग व्यर्थ में ही आरोप लगाते हैं।
डा.रोचष्मति पाण्डेय
मुख्य चिकित्साधीक्षक