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अस्पताल का ये हाल, फिर गरीबों का कैसे हो इलाज

कहने को तो भनवापुर विकास खंड अन्तर्गत सिरसिया में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बना हुआ है, बावजूद यहां सुविधाओं का टोटा है। न तो विशेषज्ञ चिकित्सक हैं, न ही जांच की सुविधा। दवाओं की उपलब्धता भी पर्याप्त नहीं रहती है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Nov 2018 10:01 PM (IST)Updated: Wed, 21 Nov 2018 10:01 PM (IST)
अस्पताल का ये हाल, फिर गरीबों का कैसे हो इलाज
अस्पताल का ये हाल, फिर गरीबों का कैसे हो इलाज

सिद्धार्थनगर :कहने को तो भनवापुर विकास खंड अन्तर्गत सिरसिया में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बना हुआ है, बावजूद यहां सुविधाओं का टोटा है। न तो विशेषज्ञ चिकित्सक हैं, न ही जांच की सुविधा। दवाओं की उपलब्धता भी पर्याप्त नहीं रहती है। ऐसे में मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएं मिल पाना टेढ़ी खीर बना रहता है।

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वर्ष 2012 में रमवापुर नेबुआ उर्फ सिरसिया में सीएचसी की स्थापना हुई। ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को उम्मीद बंधी, कि उनकी स्वास्थ्य सुविधाएं आसानी हो जाएंगी। अस्पताल में विशेषज्ञ डाक्टर, जांच की सुविधा, सबकुछ उपलब्ध मिलेगी। मगर छह साल का अर्सा बीत गया, यहां की व्यवस्था पीएचसी सुविधा से भी बदतर है। यहां लैब टेक्नीशियन व एक्स रे मशीन ऑपरेटर के पद पर नियुक्ति तो है, लेकिन लैब व एक्स रे मशीन में पूरे उपकरण ही उपलब्ध नहीं है। ऐसे में यहां ताला लटकता रहता है। किसी भी मरीज को जांच करानी होती है, तो उन्हें बाहर प्राइवेट पैथालाजी पर जाना मजबूरी बना रहता है। स्वीपर के अभाव में साफ-सफाई की स्थिति भी बदतर बनी रहती है। मरम्मत के अभाव में भवन की दशा भी दिनों दिन बदतर होती जा रही है। कहीं फर्श टूट कर धंस गए हैं, तो कहीं पर प्लास्टर उजड़ गया है। परिसर में सरकारी आवास तो बने हुए हैं, पर ठेकेदार द्वारा उसे आधा-अधूरा ही छोड़ दिया गया है, वहां जाने के लिए मार्ग भी पूर्ण नहीं है। आवास के चारों तरफ बड़ी-बड़ी घास उगी हुई है। शुद्ध पेयजल के लिए पानी की टंकी बनी हुई है, परंतु वह सिर्फ दिखावा बनी है।

सीएचसी पर सुविधाओं को टोटा है, तो चिकित्सकों की मनमानी का भी कोई जवाब नहीं है। स्थिति ये है कि यहां पांच-पांच चिकित्सकों की तैनाती है, परंतु ज्यादातर अस्पताल से गायब रहते हैं। जिससे मरीजों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

प्रभारी चिकित्साधिकारी डा. शैलेंद्र मणि ओझा ने कहा कि अस्पताल में अभी बहुत सारी सुविधाओं की कमी है। जिसके लिए उच्चाधिकारियों को पत्र भेजा गया है। समाधान हेतु आश्वासन दिया गया है। चिकित्सकों के गायब रहने की बात है, तो वह स्वयं इसकी जांच करेंगे, फिर इसकी रिपोर्ट आला अधिकारियों को प्रेषित करेंगे।


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