मरीजों की सेहत से हो रहा खिलवाड़
जिला अस्पताल में मरीजों की सेहत के साथ अस्पताल प्रबंधन द्वारा खुला खिलवाड़ किया जा रहा है। इमरजेंसी सहित विभिन्न वार्डो में भर्ती होने वाले मरीजों को चादर और तकिया तक नहीं दिया जा रहा है। जिससे अस्पताल में भर्ती मरीजों को रैक्सीन के खुले गद्दे पर सोते हुए देखा जा सकता
सिद्धार्थनगर : जिला अस्पताल में मरीजों की सेहत के साथ अस्पताल प्रबंधन द्वारा खुला खिलवाड़ किया जा रहा है। इमरजेंसी सहित विभिन्न वार्डो में भर्ती होने वाले मरीजों को चादर और तकिया तक नहीं दिया जा रहा है। जिससे अस्पताल में भर्ती मरीजों को रैक्सीन के खुले गद्दे पर सोते हुए देखा जा सकता है। स्वास्थ्यकर्मियों की लापरवाही से मरीजों में इंफेक्शन फैलने का खतरा बना रहता है। जबकि अस्पताल प्रशासन गद्दा, चद्दर और तकिया की कमी से इंकार करता है।
एक तरफ तो अस्पताल के लिए लाखों रुपए खर्च कर अस्पताल को अपग्रेड करने का काम किया जा रहा और दूसरी तरफ ग्रामीण क्षेत्र से आए मरीजों को बिना बेड शीट के ही रैक्सीन के खुले गद्दे पर रहना पड़ रहा है। इतना ही नहीं जब मरीजों द्वारा चादर और बेड की मांग की जाती है तो उन्हें स्टॉफ द्वारा सामान घर से लाने की सलाह दी जाती है। वार्डों की स्थिति दयनीय बनी हुई है। जिला अस्पताल में मरीजों के लिए सर्जीकल वार्ड सहित अन्य वार्ड बनाए गए हैं। इन वार्डों में भर्ती मरीजों की दुर्दशा साफ देखी जा सकती है। अस्पताल 100 बेड का है, मगर इसमें 160 मरीजों के भर्ती किए जाने का इंतजाम करने का दावा अस्पताल प्रशासन करता है। सभी बेडों पर रैक्सीन के गद्दे लगाए गए है। जिससे गद्दे पर पानी गिरने से इसमें सीलन न आए। लेकिन अस्पताल द्वारा बेड पर मरीज को शिफ्ट करते समय बेडशीट, तकिया और कंबल देना अनिवार्य है। क्योंकि गद्दा हाईजीनिक नहीं होता। अस्पताल में इन नियमों का पालन नहीं हो रहा है। भीषण गर्मी में मरीज गर्म गद्दे में लेटने को विवश हैं।
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रोज बदलनी है बेडशीट
नियमानुसार अस्पताल में एडमिट होते ही मरीज को बेडशीट, तकिया और कंबल दिया जाता है। इसके बाद रोज स्टाफ द्वारा बेडशीट और तकिए का कवर बदला जाना चाहिए। ताकि मरीज को इंफेक्शन न हो। लेकिन जिला अस्पताल में बेडशीट बदलना तो दूर मरीजों का मुहैया ही नहीं करवाया जाता।
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मरीज नहीं कर पाते शिकायत
जिला अस्पताल में इलाज करवा रहे मरीज इसलिए शिकायत नहीं कर पाते क्योंकि उन्हें डर रहता है कि शिकायत करने पर उनके साथ गलत व्यवहार किया जा सकता है और इलाज में कमी की जा सकती है। जिम्मेदार अधिकारी भी अव्यवस्थाओं पर जमकर नजर अंदाज करते हैं।
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क्या कहते हैं जिम्मेदार
सभी वार्डों में चादर, तकिया का कवर उपलब्ध करवाएं गए है। न तो चादर की कमी है और न ही कवर की। स्टॉफ से बात की जाएगी कि वे मरीजों को सामग्री क्यों नहीं उपलब्ध कराते हैं। यदि जांच में मामला सही पाया गया तो जिम्मेदार के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. रोचस्मति पांडेय, सीएमएस संयुक्त जिला अस्पताल