यहां तो चिकित्सक का काम फार्मासिस्ट के भरोसे
भनवापुर ब्लाक अन्तर्गत सोहना में स्थित न्यू पीएचसी स्वास्थ्य सुविधा को तरस रही है। वर्षों से अस्पताल चिकित्सक विहीन है। अन्य स्टाफ की भी कमी है। फार्मासिस्ट के भरोसे अस्पताल चल रहा है वह भी ड्यूटी पर कब आएंगे यह उनकी मर्जी पर टिका है। जांच सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है। परिसर में गंदगी तो पेयजल संकट सदैव बना रहता
सिद्धार्थनगर : भनवापुर ब्लाक अन्तर्गत सोहना में स्थित न्यू पीएचसी स्वास्थ्य सुविधा को तरस रही है। वर्षों से अस्पताल चिकित्सक विहीन है। अन्य स्टाफ की भी कमी है। फार्मासिस्ट के भरोसे अस्पताल चल रहा है, वह भी ड्यूटी पर कब आएंगे, यह उनकी मर्जी पर टिका है। जांच सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है। परिसर में गंदगी तो पेयजल संकट सदैव बना रहता है।
कहने को यह जिला स्वास्थ्य मंत्री का गृह जनपद है, बावजूद इसके समस्याएं दूर नहीं हो रही हैं। जितेन्द्र नाथ पाण्डेय फार्मासिस्ट के पद पर कार्यरत हैं। तमाम योजनाओं के बाद भी अस्पताल की सूरत काली है। शौचालय प्रयोग के लायक नहीं, तो बेड की स्थिति दयनीय। इण्डिया मार्क हैंडपंप लगा है, मगर वह महीनों से खराब है। परिसर घास-फूस से भरा है, जहां जानवर डेरा डाले रहते हैं। अस्पताल में आने के बजाय मरीज झोलाछाप डाक्टरों के यहां जाने को मजबूर हैं।
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इनकी भी सुने साहब
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अस्पताल में आए शमशेर महतो ने कहा कि डाक्टर की तैनाती हो जाए, तो भी मरीजों को सुविधा मिलने लगे। अनुज सिंह ने कहा कि अस्पताल कब खुलेगा, अब बंद रहेगा, कुछ पता नहीं चलता। मनीष सिंह व दुर्गेश नारायण ने कहा कि सरकारी अस्पताल लोगों के लिए बेमतलब बना है।
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समस्या संज्ञान में है, चिकित्सक व अन्य सुविधाओं के लिए ऊपर लिखा-पढ़ी की गई है। चूंकि केवल फार्मासिस्ट की तैनाती है, इसलिए थोड़ी दिक्कत हो रही है।
डा. शैलेन्द्र मणि ओझा, प्रभारी चिकित्साधिकारी-भनवापुर