मंत्री जी! जिला अस्पताल की बदहाली पर भी डालिए नजर
संयुक्त जिला अस्पताल को इलाज की दरकार है। मंत्री जी अब तो दूर कर दीजिए जिला अस्पताल की बदहाली। अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में मरीजों को ग्लूकोज चढ़ाने के लिए स्टैंड तक नहीं है। कारण इमरजेंसी में 20 मरीजों के इलाज की व्यवस्था है। जबकि औसत हर दिन सौ मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं।
सिद्धार्थनगर : संयुक्त जिला अस्पताल को इलाज की दरकार है। मंत्री जी, अब तो दूर कर दीजिए जिला अस्पताल की बदहाली। अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में मरीजों को ग्लूकोज चढ़ाने के लिए स्टैंड तक नहीं है। कारण इमरजेंसी में 20 मरीजों के इलाज की व्यवस्था है। जबकि औसत हर दिन सौ मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं।
सोमवार को कई मरीजों को ग्लूकोज की बोतल वार्ड में आक्सीजन सप्लाई के लिए लगे उपकरण में टांग दिया गया। मरीजों के बेड पर चादर तक नहीं बिछाई गई थी। ओपीडी में हर दिन सात से आठ सौ मरीज आ रहे हैं। सवाल यह कि आखिर कम संख्या में मौजूद चिकित्सक उनका इलाज कितना बेहतर करते हैं। चिकित्सकों को दिखाने के लिए लोगों को घंटों बारी आने का इंतजार करना पड़ा। चिकित्सक एवं संसाधनों की कमी मरीजों पर अब भारी पड़ने लगी है। वैसे सरकार को लोगों की सेहत सुधारने की चिता है। जिसके चलते जनपद में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए मेडिकल कालेज का निर्माण शुरू हो चुका है। बावजूद इसके संयुक्त जिला चिकित्सकों एवं अन्य स्टाफ की कमी बरकरार है। जिला अस्पताल में 42 चिकित्सकों के स्थान पर मात्र 26 ही कार्य कर रहे हैं। स्टाफ नर्स के दस स्थाई पद करीब दो साल से खाली पड़ा हुआ है। चिकित्सक एवं कर्मचारियों के ऊपर काफी दबाव है। न चाहते हुए भी उन्हे इलाज करना मजबूरी है। क्योंकि वह यहां सेवाभाव के साथ ड्यूटी जो कर रहे हैं। भीड़ का आलम यह कि मरीजों को बैठने के लिए फर्श तक खाली नहीं रहता है। बुखार से पीड़ित होकर इलाज कराने आए रविन्द्र कुमार ने कहा कि भीड़ अधिक होने के कारण उन्हे पर्ची बनवाने में एक घंटे का समय लग गया। अब चिकित्सक के पास पर्ची जमा कर बारी आने का इंतजार कर रहे हैं। इसी तरह की पीड़ा रमावती, कांती समेत कई अन्य मरीजों की रही।
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मरीजों की संख्या गर्मी में बढ़ गई है। इमरजेंसी में मरीज भर्ती करने के लिए 20 बेड है। यहां हर दिन चार से पांच गुना अधिक मरीज आ रहे हैं। मौजूद संसाधनों से काम चलाया जा रहा है। जरुरी सामानों की डिमांड की गई है। बजट मिलते ही व्यवस्था में सुधार दिखेगा।
डॉ रोचस्मति पांडेय, सीएमएस संयुक्त जिला अस्पताल