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गूंजी या हुसैन-या अली की सदाएं

तहसील क्षेत्र के उपनगर हल्लौर में सवा दो माह चले मोहर्रम यानी अय्याम-ए-अ•ा के अंतिम दिन यानी आठवीं रबी अव्वल शनिवार को इमाम हुसैन व शहीदे-ए-करबला की याद में मरसिया-मजलिस, नौहा-मातम के साथ अमारी, जुलजनाह, ताबूत अलम का जुलूस निकाला गया। शुक्रवार की शाम से शनिवार पूरे दिन हर तरफ या हुसैन-या अली की सदाओं से वातावरण गुंजायमान रहा।

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Nov 2018 11:38 PM (IST)Updated: Sat, 17 Nov 2018 11:38 PM (IST)
गूंजी या हुसैन-या अली की सदाएं
गूंजी या हुसैन-या अली की सदाएं

सिद्धार्थनगर : तहसील क्षेत्र के उपनगर हल्लौर में सवा दो माह चले मोहर्रम यानी अय्याम-ए-अ•ा के अंतिम दिन यानी आठवीं रबी अव्वल शनिवार को इमाम हुसैन व शहीदे-ए-करबला की याद में मरसिया-मजलिस, नौहा-मातम के साथ अमारी, जुलजनाह, ताबूत अलम का जुलूस निकाला गया। शुक्रवार की शाम से शनिवार पूरे दिन हर तरफ या हुसैन-या अली की सदाओं से वातावरण गुंजायमान रहा।

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इस मौके पर कस्बा हल्लौर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित हुए। रात में कस्बे के अधिकांश घरों में ताजिए रखे गये। इसमें बड़े ताजियों की संख्या दो दर्जन से अधिक रही। पूरी रात हुसैनी शैदाई ताजियों का दर्शन कर हुसैनी कारवां को अगले वर्ष तक के लिए अलविदा कहते नजर आए। सुबह अंजुमन फरोग मातम के बैनर तले जुलजनाह, ताबूत, अलम का जुलूस स्व. सफायत साहब मरहूम के इमामबाड़े से निकला व अंजुमन गुलदस्ता मातम के बैनर तले अमारी, जुलजनाह के साथ जुलूस स्व. इलियास बाबा पूर्व सरपंच के परिसर से निकाला गया। जुलूस में नौहा-मातम करते लोग कस्बे में गश्त करते रहे। दोपहर को दोनों जुलूस देर तक डुमरियागंज -बस्ती मार्ग पर मातम करने के उपरांत अन्य हिस्सों से होता हुआ कर्बला की तरफ रवाना हुआ। इस बीच लोग अपने-अपने ताजिये को सरों पर उठाकर कस्बे के पश्चिम स्थित कर्बला ले गए और ताजिये को दफन किया। मातमी जुलूस भी कर्बला पहुंचकर काफी देर तक मातम करता रहा फिर यही हुसैनी मातमदारों ने इमाम हुसैन व उनके पूरे कुनबे को खेराजे अकीदत पेश करते हुए आगामी साल तक के लिए अलविदा कहा। इस अवसर पर आसपास के इलाकों में रहने वाले शिया समुदाय के लोग बड़ी तादात में शोक कार्यक्रम में शामिल हुए और इमाम हुसैन व उनके कुनबे को खेराजे अकीदत पेश की। इस दौरान नायाब हैदर रिजवी, शब्बीर हसन, इसरार बाबा के इमामबाड़े आदि तमाम स्थानों पर बाहर से आए जायरीनों के लिए भोजन पानी की वृहद व्यवस्था की गई।


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