भाव के भूखे होते हैं भगवान
भगवान रुपये- पैसे अथवा भौतिक वस्तुओं के नहीं अपितु भाव के भूखे होते हैं। जब- जब धरती पर पाप और अनाचार बढ़े हैं भक्तों की पुकार पर भगवान अवतरित होते हैं। उनके रूप अनेक हैं लेकिन वह हर रूप में अपने भक्तों पर कृपालु ही रहते हैं यही ईश्वरत्व है।
सिद्धार्थनगर : भगवान रुपये- पैसे अथवा भौतिक वस्तुओं के नहीं अपितु भाव के भूखे होते हैं। जब- जब धरती पर पाप और अनाचार बढ़े हैं, भक्तों की पुकार पर भगवान अवतरित होते हैं। उनके रूप अनेक हैं, लेकिन वह हर रूप में अपने भक्तों पर कृपालु ही रहते हैं, यही ईश्वरत्व है।
उक्त बातें पंडित विनोद कृष्ण शास्त्री ने व्यक्त की। रविवार की रात वह कस्बे के दुर्गा मंदिर परिसर में प्रवचन कर रहे थे। बढ़नीचाफा स्थित धर्मशाला दुर्गा मंदिर में शारदीय नवरात्रि के उपलक्ष्य में नौ दिवसीय कथा का आयोजन किया गया है। मनोज यादव, धर्मराज वर्मा, राहुल देव, राजू गुप्ता, राजन पांडेय, मनीष श्रीवास्तव, दिलीप गुप्ता, सियाराम गुप्ता, कपिल गुप्ता आदि मौजूद रहे।