नियम के खिलाफ कंबाइन से गेहूं की कटाई
इस समय गेहूं की कटाई चरम पर है। कंबाइन मालिक नियम ताख पर रख गेहूं की कटाई कर रहे हैं। शासन का सख्त निर्देश है कि बिना रीपर के कोई भी कंबाइन से कटाई नहीं कर सकता है। कटाई के बाद किसान फसल के अवशेष न जलाएं। इसके लिए जुर्माना व सजा दोनों का प्रावधान
सिद्धार्थनगर: इस समय गेहूं की कटाई चरम पर है। कंबाइन मालिक नियम ताख पर रख गेहूं की कटाई कर रहे हैं। शासन का सख्त निर्देश है कि बिना रीपर के कोई भी कंबाइन से कटाई नहीं कर सकता है। कटाई के बाद किसान फसल के अवशेष न जलाएं। इसके लिए जुर्माना व सजा दोनों का प्रावधान है। लेकिन जिम्मेदारों की उदासीनता से नियम का पालन नहीं हो रहा है। जबकि डंठल जलाने की वजह से ही ज्यादातर आगलगी के मामले उजागर हो रह हैं। इससे खेत में खड़ी गेहूं की फसल बर्बाद तो होती ही है साथ ही खेतों पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है।
करीब सप्ताह भर से गेहूं की कटाई जोर पकड़ लिया है। जबकि निर्देश है कि कंबाइन के पीछे रीपर (भूसा मशीन) के बिना कोई भी मशीन नहीं चला सकता। बावजूद धड़ल्ले से नियम दरकिनार कर कंबाइन चलाया जा रहा है। प्रबुद्धजनों का मानना है कि अधिकांश लोग खेत साफ दिखने के चक्कर में कटाई के बाद डंठल को जला देते हैं। जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए। इस पर प्रतिबंध तभी लग सकता है,जब कटाई के समय फसल अवशेष को रीपर से छोटा कर दिया जाए और डंठल जलाने वालों पर तत्काल कार्रवाई हो।
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डंठल जलाने से नुकसान
कृषि वैज्ञानिक डा. मारकण्डेय सिंह का कहना है कि चाहे वह रबी फसल हो या खरीफ डंठल नहीं जलाना चाहिए। इससे खेत के पोषक तत्व घट रही है। अगर यहीं स्थिति रही तो खेत की उर्वराशक्ति कमजोर हो जाएगी। इसका असर पैदावार पर पड़ेगा।
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आगलगी का कारण यह भी
फसल अवशेष जलाने से ही अक्सर अगल-अगल के खेत में खड़ी फसल जलकर राख हो जाती है। कभी कभार हवा तेज होने से यही आग विकराल रूप लेकर गांव तक पहुंच जाती है, और कई मकानों को अपनी आगोश में ले लेती है। इससे लोग बेघर हो जाते हैं।
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जुर्माना व सजा का प्रावधान
डंठल जलाने वाले की पुष्टि होने पर पहली बार ढाई हजार से 15 हजार का जुर्माना। दूसरी बार शिकायत मिलने पर योजना लाभ से वंचित और जुर्माना भी। तीसरी बार अगर मामला मिलता है तो जुर्माना, योजना और एफआईआर करायी जाएगी।
डा. पीके कनौजिया, उप निदेशक कृषि