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अब दुनिया में फैलेगी कालानमक की खुशबू

ज्ञान प्राप्ति के बाद जिस कालानमक चावल को खाकर भगवान बुद्ध ने अपना उपवास तोड़ा था उसकी खुशबू अब पूरी दुनिया में फैलेगी। सरकार ने इसको लेकर पहल की है तो उद्यमियों ने इसे देश-दुनिया के कोने तक ले जाने का जिम्मा उठाया

By JagranEdited By: Published: Thu, 30 Jul 2020 10:28 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2020 06:12 AM (IST)
अब दुनिया में फैलेगी कालानमक की खुशबू
अब दुनिया में फैलेगी कालानमक की खुशबू

सिद्धार्थनगर :

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ज्ञान प्राप्ति के बाद जिस कालानमक चावल को खाकर भगवान बुद्ध ने अपना उपवास तोड़ा था, उसकी खुशबू अब पूरी दुनिया में फैलेगी। सरकार ने इसको लेकर पहल की है तो उद्यमियों ने इसे देश-दुनिया के कोने तक ले जाने का जिम्मा उठाया है। इसके लिए शासन ने 6.96 करोड़ की लागत से बांसी तहसील के सकारपार मधवापुर में आधुनिक राइस मिल स्थापित करने की स्वीकृति दे दी है। 1.33 करोड़ रुपये अवमुक्त हुए हैं। वातानुकूलित वेयर हाउस (गोदाम) व पैकेजिग मशीन भी लगाई जाएगी। पीडब्ल्यूडी विभाग से अनापत्ति प्रमाणपत्र मिलने के बाद निर्माण शुरू होगा। सिद्धार्थनगर एग्रीकल्चर डेवलपमेंट के बैनर तले आगामी उत्पादन बाजार में उतारने की तैयारी है।

आधा, एक, दो व पांच किलो के पैकेट में चावल बाजार में उपलब्ध होगा। आयातित मशीन धान की कुटाई करेगी। इससे चावल के दाने नहीं टूटेंगे। मशीन से चावल पालिश भी होगा। जिले में इस धान का रकबा चार हजार हेक्टेयर है। एक हेक्टेयर में औसत पैदावार 18 से 20 क्विटल है। एक क्विटल धान में औसत 65 से 70 किलो चावल मिलता है। कालानमक का चयन ओडीओपी (एक उत्पाद, एक जिला) योजना में हुआ है। प्रदेश सरकार ने इसके उत्थान व बाजार में जगह बनाने के लिए इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट फिलीपींस की वाराणसी इकाई से वार्ता की है। दोनों के बीच सहमति बन गई है।

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वैश्विक बाजार से किसानों को मिलेगा लाभ

- जब पूरी दुनिया में इसकी खुशबू फैलेगी तो वैश्विक बाजार खड़ा होगा और किसानों को लाभ होगा। मांग बढ़ेगी और सरकार को भी आय होगी।

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कालानमक चावल को बाजार में उतारने की योजना तैयार की गई है। कार्यदायी संस्था लखनऊ से नामित होनी है। शासन स्तर से पहली किस्त अवमुक्त हो चुकी है। -पुलकित गर्ग, सीडीओ


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