भगवान बुद्ध के प्रसाद के रूप में बाजार में आएगा कालानमक चावल
बौद्धिस्ट देशों में काला नमक चावल को भगवान बुद्ध के प्रसाद के रूप में परोसा जाएगा। इसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में बुद्ध के उपहार (गिफ्ट) के रूप में ब्रांडिग की जाएगी। देश के सबसे बड़े चावल निर्यातक कंपनी ने काला नमक चावल के उत्थान का बीड़ा उठा लिया
सिद्धार्थनगर : बौद्धिस्ट देशों में काला नमक चावल को भगवान बुद्ध के प्रसाद के रूप में परोसा जाएगा। इसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में बुद्ध के उपहार (गिफ्ट) के रूप में ब्रांडिग की जाएगी। देश के सबसे बड़े चावल निर्यातक कंपनी ने काला नमक चावल के उत्थान का बीड़ा उठा लिया है। प्रमुख सचिव सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्यम व निर्यात प्रोत्साहन नवनीत सहगल व अधिकारियों के साथ जनपद का दौरा भी किया है।
बौद्धिस्ट देशों में मान्यता है कि जब तक काला नमक चावल में खुशबू बरकरार है, बुद्ध जीवित हैं। इसी मान्यता को लेकर काला नमक चावल की बौद्धिस्ट देशों में ब्रांडिग की जाएगी। बासमती चावल के सबसे बड़े निर्यातक कंपनी इंडिया गेट के निदेशक अनिल कुमार मित्तल ने मुहर लगा दी है। भगवान बुद्ध के अनुयायी काला नमक चावल को प्रसाद के रूप में मानते हैं। बाजार में चावल को उतारने के साथ बुद्ध व काला नमक चावल का इतिहास भी बताया जाएगा।
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यह है बुद्ध व कालानमक चावल के बीच का संबंध
बुद्ध व कालानमक धान का इतिहास काफी पुराना है। शाक्य वंश का राज्य 600 बीसी में मिलता है। मान्यता है कि गौतम बुद्ध कपिलवस्तु क्षेत्र का भ्रमण कर रहे थे। बजहा जंगल से गुजरते हुए मठला गांव में पहुंचे थे। वहां ग्रामीणों को प्रसाद के रूप में कुछ कालानमक धान देते हुए कहा था कि इसकी बुवाई करें, जो धान पैदा होगा, खुशबू मेरी याद दिलाती रहेगी। तत्कालीन मठला गांव को वर्तमान समय में मुड़िला के नाम से जाना जाता है। यह बजहा और अलीगढ़वा (कपिलवस्तु) के बीच में बसा है।
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इन देशों में खोजा जाएगा बाजार
निर्यातक मित्तल के अनुसार सबसे पहले श्रीलंका, जापान, म्यांमार (वर्मा), भूटान, नेपाल आदि देशों के बाजार में काला नमक चावल उतारा जाएगा। यह बौद्ध अनुयायी राष्ट्र हैं। देश के भी बाजारों में भी इसकी ब्रांडिग की जाएगी।
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काला नमक चावल को निर्यात करने की कार्ययोजना तैयार की गई है। निर्यातक से भी वार्ता हो चुकी है। पहले बौद्धिस्ट देशों में काला नमक चावल को निर्यात करने की योजना तैयार की है।
दीपक मीणा, जिलाधिकारी