संशोधित-दस माह, तीन मुकदमे, विवेचना का पता नहीं
प्रचार-प्रसार के अभाव में यूपी कॉप एप धरातल पर आ गई है। पुलिस की दिलचस्पी भी इस एप में नहीं है। इसका अंदाजा सिर्फ दस माह में दर्ज हुए मात्र तीन ऑनलाइन एफआइआर से ही लग जाता है।
सिद्धार्थनगर : प्रचार-प्रसार के अभाव में यूपी कॉप एप धरातल पर आ गई है। पुलिस की दिलचस्पी भी इस एप में नहीं है। इसका अंदाजा सिर्फ दस माह में दर्ज हुए मात्र तीन ऑनलाइन एफआइआर से ही लग जाता है। इनमें दो सदर व एक शोहरतगढ़ थाने से संबंधित है। दुखद तो यह है कि इन मुकदमों की विवेचना में भी पुलिस की कोई दिलचस्पी नहीं है। 105 लोगों ने एप के माध्यम से चरित्र प्रमाणपत्र के लिए आवेदन किया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी इस पर रोजाना अपलोड नहीं की जा रही है।
जब इस एप की शुरुआत पुलिस मुख्यालय ने सार्वजनिक की तब कहा था कि अब मुकदमा दर्ज कराने के लिए फरियादियों को थाने का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। पीड़ित को एंड्रायड मोबाइल पर प्ले स्टोर से एप को डाउनलोड करना होगा। इसके बाद पुलिस से संबंधित सभी सूचना को घर बैठे पाया जा सकता है। इस एप में पुलिस से संबंधित कुल 27 जानकारियां प्राप्त की जा सकती हैं। जिसमें फरार अपराधी से लेकर गायब व्यक्तियों की जानकारी तक अपलोड होगी। यूजर आईडी व पासवर्ड बनाने के बाद सूचना के अनुसार आगे बढ़ना होगा। सबसे पहले ई-प्राथमिकी पंजीकरण का आप्सन आएगा। बाद में ऑनलाइन घर बैठे मुकदमा दर्ज करने के लिए फार्मेट आएगा। इस एप की खास बात यह है कि पीड़ित व्यक्ति अपने मुकदमे के प्रगति की जानकारी भी समय-समय पर कर सकता है। इसमें पुलिस दुर्व्यवहार की शिकायत भी दर्ज करने की भी सुविधा है। एसपी डा. धर्मवीर सिंह ने कहा कि मुकदमा दर्ज कराते हैं, जिनको थाने में पहुंचने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। एप के माध्यम से चरित्र प्रमाणपत्र का सत्यापन कराने का मामला अधिक दर्ज किया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट क्यों नहीं अपलोड की जा रही है, इसकी जांच कराई जाएगी।