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अव्यवस्थाओं के बीच शुरू हुई परीक्षाएं

तहसील क्षेत्र में 21 तारीख से शुरू हुई छमाही परीक्षाओं ने विभागीय सक्रियता की पोल खोल दी। डिजिटलाइजेशन के चक्कर में पड़ा महकमा छात्रों तक पेपर ही नहीं पहुंचा पाया। जिसका परिणाम रहा कि प्रथम पाली में अधिकांश विद्यालयों में वाट्सएप से प्रश्नपत्र भेजे गए तो द्वितीय पाली का पेपर बनाने का जिम्मा शिक्षकों पर छोड़ दिया गया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Oct 2019 11:42 PM (IST)Updated: Tue, 22 Oct 2019 06:20 AM (IST)
अव्यवस्थाओं के बीच शुरू हुई परीक्षाएं
अव्यवस्थाओं के बीच शुरू हुई परीक्षाएं

सिद्धार्थनगर : तहसील क्षेत्र में 21 तारीख से शुरू हुई छमाही परीक्षाओं ने विभागीय सक्रियता की पोल खोल दी। डिजिटलाइजेशन के चक्कर में पड़ा महकमा छात्रों तक पेपर ही नहीं पहुंचा पाया। जिसका परिणाम रहा कि प्रथम पाली में अधिकांश विद्यालयों में वाट्सएप से प्रश्नपत्र भेजे गए तो द्वितीय पाली का पेपर बनाने का जिम्मा शिक्षकों पर छोड़ दिया गया।

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नित्य नए-नए प्रयोगों द्वारा शिक्षकों को समय से विद्यालय पहुंचाने का प्रयास भले ही किया गया हो, पर स्वयं सुविधा देने की बारी आई तो विभाग स्वयं ही फिसड्डी साबित हो रहा है। रविवार से तहसील क्षेत्र के तकरीबन 553 परिषदीय विद्यालयों के करीब 62000 छात्रों को परीक्षा देनी थी जिसमें से 25 प्रतिशत छात्रों ने परीक्षा छोड़ दी, जो विभाग के लिए सोचनीय है। डुमरियागंज ब्लाक में नामांकित 30422 के सापेक्ष 22947 बच्चों ने परीक्षा दी। इसी तरह भनवापुर में नामांकित 28095 के सापेक्ष करीब 20500 बच्चे परीक्षा में सम्मिलित हुए। तहसील क्षेत्र के खुनियांव ब्लाक से संबंधित 3000 के सापेक्ष करीब 2010 बच्चों ने परीक्षा दी। इस दौरान पेपर न पहुंचने से बच्चों को ब्लैक बोर्ड पर लिखे प्रश्नों से ही काम चलाना पड़ा। बीईओ खुनियांव शिवकुमार ने बताया कि प्राथमिक विद्यालय में कला विषय के लिए हमारे पास कोई कोई पेपर नहीं आया इसलिए पेपर नहीं पहुंच पाया। जबकि बीईओ चंद्रभूषण पाण्डेय डुमरियागंज ने पर्चे की कमी को सिरे से खारिज कर दिया।


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