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धर्म-अधर्म का ज्ञान रखने से मिलती है ईश्वर की कृपा

जब जब पृथ्वी पर अत्याचार, अधर्म बढ़ता है और न्याय और सत्य का उत्पीड़न होता है तब तब भगवान को ईश्वर का रूप त्याग कर मानव रूप धारण करना पड़ता है । धर्म व अधर्म को जान कर ही कार्य किया जाना व्यक्ति को ईश्वर की कृपा मिलती है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Feb 2019 11:28 PM (IST)Updated: Sat, 16 Feb 2019 11:28 PM (IST)
धर्म-अधर्म का ज्ञान रखने से मिलती है ईश्वर की कृपा
धर्म-अधर्म का ज्ञान रखने से मिलती है ईश्वर की कृपा

सिद्धार्थनगर : जब जब पृथ्वी पर अत्याचार, अधर्म बढ़ता है और न्याय और सत्य का उत्पीड़न होता है तब तब भगवान को ईश्वर का रूप त्याग कर मानव रूप धारण करना पड़ता है । धर्म व अधर्म को जान कर ही कार्य किया जाना व्यक्ति को ईश्वर की कृपा मिलती है।

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उक्त बातें आचार्य इन्द्रासन मिश्र ने कहीं । वह विकास खण्ड खेसरहा के ग्राम पंचायत छोटकी पेड़ारी में चल रहे श्रीमछ्वागवत कथा पर प्रवचन कर रहे थे । कहा भगवान श्री कृष्ण ने मृत्यु लोक पर आकर अनेक कार्यों को पूर्ण किया । उनके मानव रूप धारण करने का एक और कारण था । पृष्मि और सुतपा नामक ऋषि दम्पति भगवान को पुत्र रूप में पाने के लिए हजारों वर्षों से घोर तपस्या किए । जब भगवान ने उन्हें मनुष्य रूप मे आने का वचन दिया था । उनके मृत्यु लोक पर आने का यह भी एक कारण था । कृष्ण अवतार केवल अत्याचार और राक्षसों के संघार के लिए ही नहीं हुआ वरन मानव को मानवता व मर्यादा का सन्देश देने के लिए भी हुआ था । इस संदेश को आत्मसात कर ही मानव धर्म का निर्वहन हम कर सकते हैं । शुखदेव मिश्र, भनुप्रताप मिश्र, रमाशंकर मिश्र, अवधेश शास्त्री, विजय मिश्र, चन्द्रप्रकाश मिश्र, रमेश मिश्र , अजय, अरविन्द, जनार्दन, हरेंद्र, विवेक, प्रशांत, पर्व,सहित अन्य उपस्थित रहे ।


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