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नहरें बेपानी, किसान परेशान

सिद्धार्थनगर : किसानों ने धान की नर्सरी डालने का काम शुरू कर दिया है, लेकिन सूखी नहरें उनको मुंह चि

By JagranEdited By: Published: Fri, 08 Jun 2018 10:55 PM (IST)Updated: Fri, 08 Jun 2018 10:55 PM (IST)
नहरें बेपानी, किसान परेशान
नहरें बेपानी, किसान परेशान

सिद्धार्थनगर : किसानों ने धान की नर्सरी डालने का काम शुरू कर दिया है, लेकिन सूखी नहरें उनको मुंह चिढ़ा रही हैं। सोहना, ऊंचडीह व सेमरी माइनर सभी नहरें सूखी पड़ी हैं। इस कारण किसान किसी तरह पं¨पगसेट के भरोसे काम चला रहे हैं। उनकी गाढ़ी कमाई डीजल पर खर्च हो रही है।

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¨सचाई सुविधा देने के लिए उतरौला पंप प्रणाली और सरयू नहर खंड के मार्फत नहरों का जाल तो बिछा दिया गया, लेकिन सूखी नहरें मेहनतकश किसानों को मुंह चिढ़ा रही हैं। गेहूं की बोआई के बाद से ही वह प्यासी हैं। इसके कारण अब तक तो केवल जायद की खेती से जुड़े किसान ही हलकान हुए। पर अब तो सभी परेशान हो रहे हैं। अन्नदाता को उम्मीद थी कि जून में नहरों में पानी आ जाएगा और उन्हें नर्सरी डालने से लेकर रोपाई तक में सहूलियत मिलेगी। उनके अरमान धरे के धरे रह गए और अब उन्हें 150 रुपये प्रति घंटा खर्च करके नर्सरी डालने वाले खेतों में पानी भरना पड़ रहा है। सुमिरन और आफाक का कहना है कि हमारे पूर्वजों ने नहर बनाने के लिए जमीन इस लिए दी कि खेतों को ¨सचाई के लिए भरपूर पानी मिलेगा, लेकिन हर सीजन में नहरें सूखी ही रहती हैं। संजीव व अनिल वर्मा क कहना है कि जब किसान रोपाई का काम पूरा कर लेते हैं, तब नहरों में पानी आता है। इसके कारण किसानों को कोई लाभ नहीं मिल पाता। जमीरूद्दीन, गोकुल, नीरज, मुकेश, सुराती, जोखू, करीम खान सहित अन्य लोगों ने नहरों में पानी छोड़े जाने की मांग की है।


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