लाकडाउन के बाद किया डिजिटल प्लेटफार्म का भरपूर उपयोग
ढाई दशक पूर्व कम पूंजी से व्यवसाय की शुरुआत करने वाले बीके बजाज आटोमोबाइल के प्रोपराइटर प्रमोद खेतान ने कोरोना संक्रमण के दौर में वित्तीय चुनौतियों का सामना किया। ई-कामर्स डिजिटल लेनदेन को आधार बनाकर कर व्यवसाय को पटरी पर लाने का काम किया।
सिद्धार्थनगर जेएनएन : ढाई दशक पूर्व कम पूंजी से व्यवसाय की शुरुआत करने वाले बीके बजाज आटोमोबाइल के प्रोपराइटर प्रमोद खेतान ने कोरोना संक्रमण के दौर में वित्तीय चुनौतियों का सामना किया। ई-कामर्स डिजिटल लेनदेन को आधार बनाकर कर व्यवसाय को पटरी पर लाने का काम किया। सालाना 20 से 25 करोड़ का व्यापार कर रहे हैं। 25 कामगारों को रोजगार भी दे रहे हैं। लाकडाउन के दौरान जब बाजार बंद था तो इनकी जीविका को भी सहारा भी दिया। इन्हें रोजगार से जोड़े रखा। तीन माह तक व्यवसाय ठप होने के बावजूद भी कामगारों को वेतन देते रहे। संक्रमण काल के दौरान किसी भी कामगार को नौकरी से नही निकाला। कोरोना संक्रमण में आई चुनौतियों का सामना करने के लिए गूगल और डिजिटल प्लेटफार्म को माध्यम बनाया। ग्राहकों को असुविधा न हो इसके लिए कैशलेस पेमेंट का भरपूर उपयोग किया जा रहा है। नई योजनाओं को मूर्त रूप देने मे लगे हैं। लाकडाउन के बाद व्यापार को दोबारा पटरी पर लाने के लिए विस्तृत कार्ययोजना तैयार की है।
प्रमोद खेतान बताते हैं कि अनलाक में बाजार उठने लगा है। लग्न के सीजन में बिकने वाले वाहन भी कोरोना संक्रमण की भेंट चढ़ गए। स्थानीय ग्राहकों को सहेज कर रखना चुनौती भरा काम था। इनसे समन्वय स्थापित करने के लिए सामाजिक कार्य मे भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। गूगल ,फेसबुक और जस्ट डायल के प्लेटफार्म पर बाइक की तस्वीरें और वीडियो शेयर करने का काम शुरू किया। शोरूम बंद होने व खुलने के संबंध की भी जानकारी दी जाने लगी। फेसबुक पर ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों को जोड़ने का काम किया। कोरोना संक्रमण के दौरान व्यवसाय से भी ज्यादा जरूरी खुद को और परिवार को कोरोना संक्रमण से बचाना था। अनलाक के प्रथम चरण में एक के बाद एक तीन कामगार कोरोना संक्रमण से प्रभावित हो गए थे। इनका इलाज कराने की जिम्मेदारी भी उठाई। इस दौरान व्यापार को बहुत नुकसान हुआ। अचानक से बाजार बंद होने के कारण कुछ समझ नहीं आ रहा था। पहले तो लगा कि कुछ दिन में सब सही हो जाएगा, लेकिन अवधि बढ़ने के साथ नुकसान भी उतना होता गया। लेन-देन ठप हो गया। कर्ज का बोझ भी बढ़ा। ई-कामर्स और डिजिटल प्लेटफार्म से व्यवसाय को संभाला। अब ग्राहक खरीददारी के लिए दुकान पर पहुंच रहे हैं। अभी संख्या पहले से कम है। आगे और बेहतर होने की संभावना है। कोरोना काल में हर वर्ग के जेब पर असर पड़ा है। ज्यादातर ग्राहक गाड़ी फाइनेंस पर खरीद कर ले जाते हैं। अनलाक के बाद से ग्राहक बड़ी मुश्किल से इएमआई चुका रहे हैं। डोर-टू-डोर कलेक्शन किया जा रहा है। गिरते व्यवसाय को संभालने के लिए बेहतर कार्ययोजना की तैयार की। लेन-देन के लिए डिजिटल पेमेंट का सहारा लिया। कर्मचारियों को अपडेट किया गया। गूगल प्लेटफार्म पर प्रोडक्ट्स की जानकारी देने का काम किया गया। शारीरिक दूरी के नियम का पालन होता रहे इसके लिए कैशलेस पेमेंट जैसे फोनपे, गूगलपे आदि के माध्यम से ग्राहकों को सुविधा देने की कोशिश की। व्यापार में भी डिजिटल लेन देन से बहुत फायदा हो रहा है। ग्राहकों को भी आसानी होती है।
गूगल मीट और वाट्सएप पर कर्मचारियों और ग्राहकों को जोड़ा
लाकडाउन के दौरान बेहतर कार्ययोजना की तैयारी की। ग्राहकों और कर्मचारियों को डिजिटल प्लेटफार्म जैसे गूगल मीट पर जोड़ा। समय समय पर सभी से गूगल मीट के जरिए संवाद भी किया गया। कर्मचारियों को ऑनलाइन ही दिशा निर्देश दिया का प्रयास किया गया। ग्राहकों को भी गूगल पर जोड़ने का काम किया जा रहा है।
परिवार को संक्रमण से बचाने की थी चुनौती
स्वयं के साथ परिवार को भी संक्रमण से बचाने की चुनौती थी। अनलाक के प्रथम चरण में जब बाजार खुले तब ईएमआइ कलेक्शन के लिए कामगार संक्रमित हो गए। ऐसे में खुद को और परिवार को बचाना चुनौती भरा काम था। पूरे क्षेत्र को कंटेंनमेंट एरिया घोषित हो गया। दुकानें बंद थी। मास्क पहनना अनिवार्य है। सैनिटाइजर के उपयोग के लिए प्रेरित किया जा रहा है। दुकान को भी सैनिटाइज कराया जाता है।
कोरोना के भय से सीजन में भी थमी ग्राहकों की रफ्तार
बाजार खुलने के बाद भी ग्राहकों के मन मे कोरोना का भय व्याप्त है। दशहरा-दीपावली पर जब ग्राहकों का हुजूम लगा रहता था वहीं अब ग्राहकों का आना जाना कम हो गया है परंतु उम्मीद है कि शीघ्र पुराने दिन वापस आएंगे।