Move to Jagran APP

इटवा के छह घाटों पर बालू का अवैध खनन

सिद्धार्थनगर: तहसील क्षेत्र में अवैध बालू खनन का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। जबकि किसी भी घाट से बा

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Nov 2018 10:44 PM (IST)Updated: Thu, 15 Nov 2018 10:44 PM (IST)
इटवा के छह घाटों पर बालू का अवैध खनन
इटवा के छह घाटों पर बालू का अवैध खनन

सिद्धार्थनगर: तहसील क्षेत्र में अवैध बालू खनन का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। जबकि किसी भी घाट से बालू खनन का पट्टा नहीं है, बावजूद इसके नदियों में पानी घटते ही यह कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है। तीन हजार से पैंतीस सौ रुपया प्रति ट्राली की दर से इस अवैध बालू को खरीदने वाले बि¨ल्डग मैटेरियल के दुकानदार हैं, जो इस बालू को अयोध्या से आया बताकर चार हजार रुपया से लेकर पैंतालिस सौ रुपया प्रति ट्राली की दर से बेचकर मोटी कमाई कर रहे हैं।

loksabha election banner

अवैध खनन के इस कारोबार पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी राजस्व व पुलिस टीम की है। राप्ती और बूढ़ी राप्ती के घाटों से बिना किसी अनुमति के सफेद बालू का काला कारोबार हो रहा है। तहसील क्षेत्र में सफेद बालू अयोध्या परिक्षेत्र से अब तक पहुंचती थी, क्योंकि स्थानीय नदियों में पानी की अधिकता थी जिसके चलते चोरी छिपे होने होने वाले खनन के कारोबार पर विराम लगा था। मौजूदा समय में नदियों का पानी घटते ही एक बार फिर अवैध रूप से बालू खनन का कारोबार शुरू हो चुका है। तहसील क्षेत्र के छगड़िहवा, लमुइया, इमिलिहा, कड़रवा, सोनबरसा और अशोगवां घाट पर पूरी रात खनन का काम चलता है। पूरी रात बालू लदी ट्रालियां गंतव्य तक फर्राटा भरती रहती हैं। बि¨ल्डग मैटेरियल के कारोबारी तहसील क्षेत्र में हो रहे इस अवैध कारोबार को वैध बनाने में बखूबी साथ दे रहे हैं। अवैध खनन करने वालों से इनकी से¨टग होती है और तीन हजार रुपया प्रति ट्राली की दर से यह बालू पहुंचाने वालों को भुगतान करते हैं।

---------------------

बरसात में बाढ़ की विभीषिका से जूझते हैं गांव अवैध ढंग से होने वाले बालू खनन का खामियाजा तटवर्ती गांव के लोगों को प्रति वर्ष भुगतना पड़ता है। नदी की कोख से बालू निकालने के चलते किनारे काफी गहरे हो जाते हैं और बरसात के समय में कटान के चलते बुड्ढी, परसोहन, गागापुर, छगड़िहवा, इमिलहा, लमुइया। कोड़रा सहित दर्जनों गांव में बाढ़ का पानी कहर बरपाता है। अधिकांश लोग बाढ़ के कहर से बचने के लिए घर से बेघर हो जाते हैं। गांव के लोगों ने दर्जनों बार इस अवैध खनन की शिकायत की, लेकिन कभी कोई कार्रवाई नहीं हुई।

---------------------------

एसडीएम जुबेर बेग ने कसा था शिकंजा

दिसंबर 2017 में तहसील क्षेत्र के विभिन्न घाटों पर हो रहे अवैध बालू खनन पर तत्कालीन एसडीएम एम.जुबेर ने बेग ने शिकंजा कसा था। छगड़िहवा घाट पर तीन बालू लदी गाड़ियां एक साथ सीज हुई थीं, जिसके बाद इस काले कारोबार पर कुछ अंकुश लगा था। उनके स्थानांतरण के बाद पुन: धड़ल्ले से यह खेल चालू हो गया। राजस्व विभाग के साथ पुलिस प्रशासन की भी जिम्मेदारी है कि वह इस अवैध कारोबार पर शिकंजा कसे, लेकिन आपसी मिलीभगत से महीने भर के भीतर एक भी बालू लदी गाड़ी नहीं पकड़ी गई, जबकि थाने से होकर गाड़ियां रातो-रात गंतव्य तक पहुंचती हैं।

......

सत्ता पक्ष के इशारे पर हो रहा खनन पूर्व विस अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय का कहना है कि तहसील क्षेत्र में सत्ता पक्ष के इशारे पर बालू खनन हो रहा है। सत्ता के दबाव में अधिकारी कार्रवाई से कतराते हैं। ग्रामीणों ने उनसे कई बार शिकायत की और उन्होंने स्थानीय प्रशासन को इस बावत सूचित भी किया, लेकिन अधिकारी आंख मूंदे बैठे हैं। ग्रामीणों की पीड़ा व समस्या से उनका कोई वास्ता नहीं।

.......... ग्रामीणों द्वारा अवैध खनन की सूचना मिली है। ग्रामीणों को सूचित किया गया है कि जब खनन शुरू हो उन्हें जानकारी दें। कुछ कर्मचारियों की ड्यूटी भी निगरानी के लिए लगाई गई है। कहीं भी बालू खनन की सूचना मिली तो वह खुद मौके पर पहुंचकर आवश्यक कार्रवाई करेंगे। त्रिभुवन

एसडीएम, इटवा


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.