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सिवि में रोजगारपरक विषयों की कराई जाए पढ़ाई

मंत्री ने बीएड एलएलबी फार्मेसी कृषि की कक्षाएं संचालित करने की सलाह दी।

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Aug 2022 06:45 PM (IST)Updated: Thu, 25 Aug 2022 06:48 PM (IST)
सिवि में रोजगारपरक विषयों की कराई जाए पढ़ाई
सिवि में रोजगारपरक विषयों की कराई जाए पढ़ाई

सिवि में रोजगारपरक विषयों की कराई जाए पढ़ाई

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सिद्धार्थनगर : स्टांप व न्यायालय शुल्क राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार रवीन्द्र जायसवाल व खाद्य एवं रसद विभाग के राज्यमंत्री सतीश चंद्र शर्मा ने गुरुवार को सिद्धार्थ विश्वविद्यालय परिसर का निरीक्षण किया। परिसर में संचालित कक्षाओं की जानकारी ली। शिक्षकों से वार्ता की और उनकी समस्याओं के संबंध में जानकारी प्राप्त की। मोबाइल नेटवर्क व परिवहन की समस्या से अवगत कराया। मंत्री ने बीएड, एलएलबी, फार्मेसी, कृषि की कक्षाएं संचालित करने की सलाह दी।<ङ्कक्चष्टक्त्ररुस्न>स्टांप एवं न्यायालय शुल्क राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार ने कहा कि सिवि कैंपस में रोजगारपरक विषय की कक्षाएं भी संचालित की जाए। इससे अति पिछड़े जनपद के युवाओं को लाभ मिलेगा। इनके लिए रोजगार के नए रास्ते खुलेंगे और यह आत्मनिर्भर बनेंगे। कुलपति प्रो. हरि बहादुर श्रीवास्तव ने कहा कि विवि आने के लिए कोई सार्वजनिक परिवहन की सुविधा नहीं हैं। परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह, प्रशासनिक व रोडवेज के अधिकारियों से इस संबंध में वार्ता की गई। लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। यहां सबसे पहले दो बस चलाने की आवश्यकता है। बस चलने से छात्रों को लाभ मिलेगा। मंत्री ने बस दिलाने का आश्वासन देते हुए कुलपति से पूछा कि क्या रोडवेज बस का खर्च निकल जाएगा। कुलपति ने कहा इसे आम परिवहन बस के रूप में संचालित किया जाए। खर्चा निकल जाएगा। कुलपति ने बताया कि सिवि के पास वाईफाई कनेक्शन है। कुलसचिव डा. अमरेंद्र कुमार सिंह, जिलाध्यक्ष भाजपा गोविंद माधव, पूर्व मंत्री डा. सतीश चंद्र द्विवेदी, डीएम संजीव रंजन, एसपी अमित कुमार आनंद, मुख्य नियंता दीपक बाबू आदि मौजूद रहे। <ङ्कक्चष्टक्त्ररुस्न>भूमि खरीद कर सिवि बनाएगा अपना सेटेलाइट कैंपस<ङ्कक्चष्टक्त्ररुस्न>स्टांप व न्यायालय शुल्क राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार मंत्री रविंद्र जायसवाल से कुलपति हरि बहादुर श्रीवास्तव ने कहा कि विश्वविद्यालय को भूमि की आवश्यकता है। यहां सेटेलाइट कैंपस स्थापित होगा। कई स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रम का संचालन किया जा सकेगा। यदि शासन भूमि उपलब्ध नहीं करा पा रहा है तो विश्वविद्यालय प्रशासन स्वयं खरीद करेगा। वर्तमान समय में विश्वविद्यालय के खाते में 50 करोड़ की निधि उपलब्ध है। इस संबंध में ग्राम प्रधान से भी वार्ता हो रही है। जिला प्रशासन ने सहयोग करने का आश्वासन दिया है।<ङ्कक्चष्टक्त्ररुस्न>


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