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सूझबूझ और कड़ी मेहनत से खड़ा किया व्यापार

तीन दशक पूर्व सीमेंट की दुकान से व्यवसाय की शुरुआत करने वाले बेल्जियम ट्रेडर्स के प्रोपराइटर साजिद अहमद ने कोरोना संक्रमण के दौर में बहुत नुकसान सहा। कोरोना संक्रमण काल से पहले सालाना आठ से दस लाख का व्यापार हो रहा था। लेकिन लाकडाउन में यह औंधे मुंह गिर गया। चार कामगारों को रोजगार दे रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 12:30 AM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 05:03 AM (IST)
सूझबूझ और कड़ी मेहनत से खड़ा किया व्यापार
सूझबूझ और कड़ी मेहनत से खड़ा किया व्यापार

सिद्धार्थनगर जेएनएन : तीन दशक पूर्व सीमेंट की दुकान से व्यवसाय की शुरुआत करने वाले बेल्जियम ट्रेडर्स के प्रोपराइटर साजिद अहमद ने कोरोना संक्रमण के दौर में बहुत नुकसान सहा। कोरोना संक्रमण काल से पहले सालाना आठ से दस लाख का व्यापार हो रहा था। लेकिन लाकडाउन में यह औंधे मुंह गिर गया। चार कामगारों को रोजगार दे रहे हैं। लाकडाउन के दौरान जब बाजार बंद थे तो इनकी जीविका को भी सहारा भी बने। कामगारों को रोजगार से जोड़े रखा। व्यवसाय में बोहनी नही होने पर भी सहारा देते रहे। ग्राहकों को असुविधा नहीं हो इसके लिए कैशलेस पेमेंट पर ज्यादा जोर दिया। अचानक आई चुनौतियों का सामना करने के लिए नई योजनाओं को मूर्त रूप देने मे लगे हैं। लाकडाउन के बाद व्यापार को दोबारा पटरी पर लाने के लिए विस्तृत कार्ययोजना तैयार की है। अनलाक में बाजार धीमी गति से उठ रहा है। व्यापार में 20 से 30 फीसद का नुकसान हुआ। अनलाक प्रथम चरण के बाद बाजार उठने की संभावना बलवती हो गई है।

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साजिद अहमद बताते हैं कि कोरोना संक्रमण से हर वर्ग आहत हुआ है। उद्योग व्यापार चौपट हो गया है। अनलाक के दौरान लोगों को जिदगी दोबारा ढर्रे पर लाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है। यह काम आसान तो नहीं हैं, लेकिन सभी को उम्मीद है कि हालात फिर सुधरेंगे। कार्ययोजना की प्लानिग और डिजिटल लेनदेन को आधार बनाकर कर व्यवसाय को पटरी पर लाने का प्रयास किया जा रहा है। हार्डवेयर का व्यापार होने के कारण प्लाइवुड, मार्बल आदि प्रोडक्ट के डंप होने का खतरा बढ़ गया था। दुकान बंद होने से स्थानीय ग्राहकों को सहेज कर रखना चुनौती भरा काम था। इनसे समन्वय स्थापित करने के लिए सामाजिक कार्य मे भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। बंदी के दौरान लोगों के घर पर रोजमर्रे के साथ-साथ खाने की सामग्री भी पहुंचाया। वाट्सएप के माध्यम से ग्राहकों को शोरूम बंद होने व खुलने के संबंध की भी जानकारी दी गई। मार्च में इक्कीस दिन की बंदी में थोड़ा नुकसान हुआ। अप्रैल-मई में बाजार बंद रहने से यह तकलीफदेह साबित होने लगा। लेन-देन ठप हो गया। बैंक कर्ज का बोझ भी बढ़ा। बेहतर सूझबूझ और कार्ययोजना से व्यवसाय को संभालने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। अब ग्राहक खरीदारी के लिए दुकान पर पहुंच रहे हैं। इनकी संख्या पहले से अभी कम है। लेकिन आगे और बेहतर होने की संभावना है। ई-कामर्स पर विचार किया जा रहा है लेकिन प्रोडक्ट भारी और बड़ा होने से समस्या हो रही है। इसकी डिलीवरी कैसे हो यह बड़ी समस्या है। ऐसे में होम डिलीवरी पर खर्च भी आता है। ग्राहकों के जरूरत को देखते हुए डिजिटल लेनदेन के लिए खुद को तैयार किया। लगातार संवाद बनाये रखने का प्रयास किया जा रहा है। डिजिटल लेनदेन के संबंध में कर्मचारियों को अपडेट किया गया। गूगल प्लेटफार्म से प्रोडक्ट्स की जानकारी दिया जा रहा है। तकनीकी का सार्थक प्रयोग करने की कवायद हो रही है। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सामाजिक दूरी का पालन कराया जा रहा है। फोनपे, गूगलपे, पेटीएम आदि के माध्यम से लेनदेन हो रहा है। डिजिटल लेन देन से व्यापार को भी फायदा हो रहा है। ग्राहकों को भी आसानी होती है। पेमेंट आसानी से हो जाता है। यूपीआई व बार कोड से स्कैन कर के पेमेंट की सुविधा दी गई है।

परिवार को संक्रमण से बचाने की चुनौती

कोरोना संक्रमण से बचने की चुनौती थी। ऐसे में स्वयं के साथ परिवार को भी बचाने की जिम्मेदारी रही। अनलाक के प्रथम चरण में बाजार के पास कई संक्रमित मिले। प्रशासन ने पूरे क्षेत्र को कटेंनमेंट एरिया घोषित कर दिया। रास्ता बंद होने के कारण ग्राहकों का आना-जाना रुक गया। कोविड नियमों का पालन कर खुद को और परिवार समेत कामगारों को संक्रमण से बचाया। सभी आने जाने वालों को मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया है। सैनिटाइजर के उपयोग के लिए सबको प्रेरित किया जा रहा है। दुकान को भी सैनिटाइज कराया जाता है। परिवार के सभी सदस्यों की कोरोना जांच भी कराई गई। सभी की रिपोर्ट निगेटिव मिली।

बाजार तो खुल गया लेकिन ग्राहकों में अभी भी है कोरोना का भय

बाजार खुलने के बाद भी ग्राहकों के मन मे कोरोना का भय व्याप्त है। ऐसे में ग्राहक कम आ रहे हैं। पहले ग्राहकों के आने की अच्छी खासी संख्या होती थी, अब इक्का-दुक्का ही आ रहे हैं। ग्राहकों को कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जागरूक किया जाता है। शारीरिक दूरी का पालन करने के लिए भी प्रेरित करते हैं। इनकी थर्मल स्कैनिंग भी की जाती है। बिना मास्क आने वालों का प्रवेश निषेध है।


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