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ठंड व बारिश की चपेट में आकर मरीं 11 गायें

कड़ाके की ठंड के बीच पिछले 24 घंटों से हो रही बारिश ने जनजीवन अस्त व्यस्त कर दिया है। ऐसे में चरवाहे अपनी गायों को खुले आसमान के नीचे रखे हुए हैं। शुक्रवार की सुबह भड़रिया पुलिस सहायता केन्द्र से दो सौ मीटर दूरी पर करीब 11 गायें मरी पड़ीं मिलीं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 17 Jan 2020 11:26 PM (IST)Updated: Sat, 18 Jan 2020 06:09 AM (IST)
ठंड व बारिश की चपेट में आकर मरीं 11 गायें
ठंड व बारिश की चपेट में आकर मरीं 11 गायें

सिद्धार्थनगर :

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कड़ाके की ठंड के बीच पिछले 24 घंटों से हो रही बारिश ने जनजीवन अस्त व्यस्त कर दिया है। ऐसे में चरवाहे अपनी गायों को खुले आसमान के नीचे रखे हुए हैं। शुक्रवार की सुबह भड़रिया पुलिस सहायता केन्द्र से दो सौ मीटर दूरी पर करीब 11 गायें मरी पड़ीं मिलीं। जिनके शव को कुत्ते व कौवे नोच रहे थे। जब सुबह आने-जाने वाले राहगीरों ने ऐसा मंजर देखा तो जिम्मेदारों को सूचित किया। मौके पर कोई नहीं पहुंचा।

एक सप्ताह में भूख, ठंड व बारिश से 22 गायों की मौत हो चुकी है। गायों की मौत होने के बाद बिना पोस्टमार्टम कराए ही शवों को दफनाया जा रहा है। इस प्रक्रिया ने गोवंश के संरक्षण मुहिम पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। भड़रिया गांव के पूरब करीब 13 बीघा जमीन खेती न होने की वजह से खाली पड़ी है। पड़ोसी जिला बलरामपुर के कुड़ऊ गांव के चार चरवाहे गंगाराम पुत्र झिनकु, भगवान दास पुत्र रामलखन, गंगाराम पुत्र समुलाल, अहमद पुत्र गरीबुल्लाह अपनी-अपनी गायों जिनकी संख्या करीब डेढ़ सौ के आस पास थी, को लेकर उक्त खाली पड़ी जमीन पर डेरा डालकर चराने का काम करते हैं जिससे उनका जीविकोपार्जन होता है। बारिश के कारण सभी गायें खूंटे पर बंधी ही रह जाती हैं। चारा पानी व छाजन का इंतजाम न होने की वजह से खुले आसमान में रहने से ठंड की चपेट में आ रही हैं। पिछले सप्ताह हुई बारिश में 11 गाय मरीं, जिन्हें वहीं पर दफना दिया गया। शुक्रवार को फिर 11 गाय मरी पड़ी मिलीं। जिन्हें दोबारा उसी स्थान पर दफनाये जाने की सूचना है। एसडीएम त्रिभुवन ने कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है। अगर ऐसा है तो पशु चिकित्सक को मौके पर भेजा जाएगा, जिससे जांच हो सके कि गायों की मौत किस कारण हो रही है। इंस्पेक्टर रवीन्द्र सिंह व हल्का लेखपाल सालिक राम मौके पर पहुंचे। मृत गायों को जेसीबी द्वारा दफन कराने के बाद चरवाहों को गोवशों को अपने क्षेत्र बलरामपुर लेकर जाने का निर्देश दिया।


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